बिजली विभाग की लखनऊ विकास प्राधिकरण से अपील, उपकेंद्र बननेे के बाद ही पास करें नक्शा
बिजली विभाग का कहना है कि नियोजित व अनियोजित कालोनियों में लखनऊ विकास प्राधिकरण की एनओसी की जरूरत न पड़ और अनियोजित कालोनियों का प्राधिकरण नक्शा पास नहीं करता। ऐसे में बिजली के लिए किसी उपभोक्ता को कैसे रोका जा सकता है।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के बीच बिजली उपभोक्ता पिस रहा है। उपभाेक्ता को बिजली कनेक्शन चाहिए। बिजली विभाग एनओसी मांग रहा है। वहीं लविप्रा का तर्क है कि बिना मानचित्र पास कराए एनओसी कैसे जारी हो और नियोजित कालोनी में प्राधिकरण मौन है। अब सवाल खड़ा होता है कि राजधानी में पांच सौ से अधिक अवैध कालोनियों में बन रहे मकान क्या बिना बिजली के रहेंगे? मकानों का निर्माण लविप्रा क्यों नहीं रोक पा रहा है? इसको लेकर मध्यांचल व लविप्रा में जब बैठक हुई तो मध्यांचल एमडी ने यही सवाल लविप्रा अफसरों से पूछते हुए कहा कि जब तक उपकेंद्र न बन जाए तब तक लविप्रा एक भी नक्शा पास न करे। यह सुनते ही अफसर शांत हो गए। क्योंकि उपकेंद्र के लिए प्राधिकरण जमीन दे नहीं पा रहा। बजट इतना है? नहीं कि जल्द उपकेंद्र बन सके। नक्शा बनाने का काम कितने साल तक रोका जाए, इससे तो लविप्रा की योजनाओं पर ब्रेक लग जाएगा।
नियोजित व अनियोजित कालोनियों में लविप्रा की एनओसी की जरूरत पड़ती और अनियोजित कालोनियों का प्राधिकरण नक्शा पास नहीं करता। ऐसे में बिजली के लिए किसी उपभोक्ता को कैसे रोका जा सकता है। इसको लेकर लविप्रा के अधिकारी मध्यांचल को उचित जवाब नहीं दे पा रहे हैं। मध्यांचल एमडी सूर्य पाल गंगवार कहते हैं कि नियोजित व अनियोजित देखना लविप्रा का काम है। अवैध निर्माण रोकना लविप्रा को देखना है। ऐसे में बिजली विभाग के ऊपर यह पाबंदी लगा देना कि कनेक्शन न दिया जाए, इससे उपभोक्ता परेशान हा रहा है और हजारों उपभोक्ता उपकेंद्रों के चक्कर लगाने को विवश है। उन्होंने बताया कि इसका स्थायी हल जल्द निकालना होगा।
कई उपकेंद्र ओवर लोडेड
गाेमती नगर हो या विकास नगर यहां धड़ल्ले से लविप्रा व आवास विकास नक्शे पास कर रहा है और निर्माण भी हो रहा है। इसके बाद भी बिजली विभाग अन्य विकल्पों से बिजली कनेक्शन छोटे उपभोक्ताओं को दे रहा है। इन दोनों स्थानों पर नए उपकेंद्र प्रस्तावित है। जमीन न मिलने से काम फंसा हुआ है। लविप्रा ने गोमती नगर में दो उपकेंद्र के लिए जमीन दी है, लेकिन यहां चार उपकेंद्र की डिमांड है। विकास नगर में जमीन नहीं मिल सकी है।