UP Panchayat Chunav: गांवों में COVID बढ़ने से पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख चुनाव पर संकट, टालने पर हो सकता फैसला
UP Panchayat Chunav जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के चुनाव इस माह कराने की प्रदेश सरकार की तैयारी है परंतु कोरोना महामारी बढ़ जाने से चुनाव पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव को स्थगित करने का फैसला लिया जा सकता है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किए जा रहे अपनी-अपनी बढ़त के दावों की परख इसी माह प्रस्तावित जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष (ब्लॉक प्रमुख) पदों के चुनाव में हो जाएगी। जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के चुनाव इस माह कराने की प्रदेश सरकार की तैयारी है, परंतु कोरोना महामारी बढ़ जाने से चुनाव पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव को स्थगित करने का फैसला लिया जा सकता है। हालांकि गांवों में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सरकार पूरी सतर्कता से काम कर रही है। पंचायत चुनाव निपटते ही प्रदेश के सभी राजस्व गांवों में पांच दिन का कोरोना जांच अभियान शुरू किया गया, जिसे अब दो दिन के लिए बढ़ा भी दिया गया है।
उत्तर प्रदेश में 75 जिला पंचायत अध्यक्षों व 826 ब्लॉक प्रमुखों का चुनाव किया जाना है। नवनिर्वाचित 3050 सदस्य 75 जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव करेंगे। वहीं 75,845 क्षेत्र पंचायत सदस्य 826 ब्लॉक प्रमुखों को चुनने के लिए मतदान करेंगे। जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए प्रमुख दलों द्वारा समर्थित उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे गए थे। पंचायत चुनाव चूंकि पार्टी सिंबल से नहीं लड़ा जाता है इस कारण विजेता सदस्यों को लेकर दलीय दावों में एकरूपता हो पाना आसान नहीं है।
अध्यक्ष पदों पर होगी जोर आजमाईश : पंचायत में निर्वाचित सदस्यों में किसी राजनीतिक पार्टी का पलड़ा भारी रहा है इसके इतने मायने नहीं होते, जितना जिला पंचायत अध्यक्षों व ब्लॉक प्रमुखों के चुने जाने का होता है। जाहिर है जिस पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख अधिक होंगे, ग्रामीण सियासत में उस ही दल का दबदबा माना जाता रहा है। यानी वर्चस्व की असल लड़ाई जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत बोर्डों पर काबिज होने की है।
निर्दलीय व बागी बनाते व बिगाड़ते है माहौल : जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष पदों के चुनाव में प्रमुख दलों के निर्वाचित सदस्यों से अलावा निर्दलियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस विजयी सदस्यों में निर्दलियों की संख्या ही सर्वाधिक है इसलिए उनका रुझान ही अध्यक्षों के चुनाव को प्रभावित करेगा। निर्दलियों का समर्थन जुटाने के अलावा बागियों का रोल भी महत्वपूर्ण होता है। जाहिर है कि जोड़तोड़ वाले इस चुनाव में सत्ता का दखल निर्णायक होता गया। धनबल और बाहुबल भी चुनावी समीकरण बनाते बिगाड़ते हैं।
प्रमुख दलों ने जोड़तोड़ की कोशिशें की तेज : जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के चुनाव के लिए सभी प्रमुख दलों ने अपना दबदबा बनाने के लिए जोड़तोड़ की कोशिशें तेज कर दी हैं। भाजपा के अलावा विपक्षी दलों में मुख्य मुकाबले में बने रहने की होड़ लगी है। सपा, बसपा व कांग्रेस के अन्य दल कितने जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख जीताने में कामयाब होंगे? इसी से ग्रामीण राजनीति में उनके दखल का पता चलेगा।
मई मे ही निर्वाचन प्रक्रिया निपटाने की तैयारी : पंचायत चुनाव की मतगणना पूरी होने के बाद नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों के शपथ ग्रहण कराने की तैयारी शुरू हो गई है। 15 मई तक शपथ ग्रहण कराने के बाद 29 मई तक जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव निपटाने का प्रस्ताव है। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव 14 से 17 मई के बीच कराने की योजना है। इसमें नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य मतदाता होंगे। इसी तरह जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव 20 से 27 मई के बीच कराए जा सकते हैं। इसमें नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य मतदान करेंगे। इस पर उच्च स्तर से सहमति मिलने के बाद क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्तावित तिथियों को राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। आयोग चुनाव का विस्तृत कार्यक्रम जारी करेगा।