Eid-e-Miladunnabi 2020: बारहवफात पर नहीं हुए सार्वनिक आयोजन, सादगी से मना त्योहार
Eid-e-Miladunnabi 2020 शारीरिक दूरी के साथ देर शाम हुए जलसे मौलाना ने किया खिताब। लखनऊ में सुरक्षा के चलते चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रही। नहीं निकला जुलूस भी। गरीबों की मदद और ऑनलाइन जलसों के माध्यम से सादगी से त्योहार मनाया गया।
लखनऊ, जेएनएन। Eid-e-Miladunnabi 2020: कोरोना संक्रमण का असर शुक्रवार को ईद-ए-मिलादुन्नबी (बारहवफात) पर भी नजर आया। मौलानाओं ने पहले से ही जुलूस और भीड़ एकत्र न करने और सरकार की गाइडलाइन का पालन करने की अपील की थी। जिसका असर भी नजर आया। गरीबों की मदद और ऑनलाइन जलसों के माध्यम से सादगी से त्योहार मनाया गया।
पुराने लखनऊ में सुरक्षा के चलते चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रही। इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि पिछले ईद-ए-मिलादुन्नबी का त्योहार पर सभी को एकता और भाईचारे को कायम रखने की अपील की गई। ऑनलाइन जलसों के माध्यम से पैगंबर मुहम्मद साहब की विलादत की खुशी को बयां किया गया। पैगंबर मुहम्मद साहब की दुनिया में आमद की खुशी में चल रहे 12 दिवसीय जलसे का भी समापन हो गया। शहर-ए-काजी मौलाना मुफ़्ती इरफान मियां फरंगी महली के संयोजन में दरगाह हजरत मखदूम शाहमीना में जश्न-ए-ईद मिलाद मनाया गया। उन्होंने भीड़ से दूर अपने इलाके की मस्जिद के बाहर गरीबों को खाद्य सामग्री बांटने की अपील भी की।
मौलाना ने कहा कि पैगम्बर-ए-इस्लाम ने फरमाया कि वह व्यक्ति कामिल मोमिन नही हो सकता जो खुद तो पेट भर कर खाये और उसका पड़ोसी भूखा रहे। उधर, मस्जिद सुबहानिया पाटा नाला चौक में जलसा रहमते आलम का आयोजन हुआ। जलसे को सम्बोधित करते हुए मदरसा दारुलमुबलिलगीन पाटानाला के उस्ताद मौलाना क़ारी मुहम्मद सिद्दीक़ ने कहा कि इस्लाम में पाकी और सफाई की बहुत अहममियत है। इंसान बग़ैर पाकी और सफाई के न दुनिया की तरक्की हासिल कर सकता है और न रुहानी तरक्की में कामयाब हो सकता है।