कोविड का आघात...महिलाओं का कराना पड़ रहा गर्भपात, जान‍िए क्‍या हो रही परेशान‍ियां

संजयगांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में मैटरनल एवं रीप्रोडक्टिव हेल्थ विभाग की प्रोफेसर डा. इंदुलता साहू कहती हैं कि कोई भी वायरल संक्रमण होने पर गर्भवतियों में गर्भपात का रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में प्रिमेच्योर डिलीवरी की नौबत आती है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 01:43 PM (IST)
कोविड का आघात...महिलाओं का कराना पड़ रहा गर्भपात, जान‍िए क्‍या हो रही परेशान‍ियां
कोरोना संक्रमण के चलते प्री-मेच्योर डिलीवरी की नौबत।

लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्रा]। कोरोना का आघात गर्भवती महिलाओं पर सबसे ज्यादा भारी पड़ रहा है। विशेषकर गर्भ के दूसरे व तीसरे स्टेज में चल रही गर्भवतियों को वायरस के संक्रमण से ज्यादा रिस्क उठाना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इस स्टेज में पहुंच चुकी महिलाओं के गर्भाशय का साइज बढ़ने से स्वत: उनके फेफड़ों की कैपिसिटी इस दौरान कम हो जाती है। लिहाजा उन्हें सांस में कुछ मुश्किल होती है। वहीं कोविड का संक्रमण सीधे फेफड़े पर ही आघात करता है। ऐसे में उनकी जान को खतरा हो जाता है। वायरस के वार से कई महिलाओं की स्वत: प्रिच्योर डिलीवरी हो जाती है। जबकि कई गर्भवतियों के फेफड़े की स्थिति सुधारने के लिए आपातकालीन व आसामयिक गर्भपात कराना पड़ता है। वहीं प्रथम स्टेज में चल रही महिलाओं के भ्रूण का विकास बाधित होने के मामले भी आ रहे हैं। हालांकि इस पर अभी अधिक स्टडी नहीं होने की वजह डाक्टर ज्यादा कुछ कहने से बच रहे हैं।

संजयगांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में मैटरनल एवं रीप्रोडक्टिव हेल्थ विभाग की प्रोफेसर डा. इंदुलता साहू कहती हैं कि कोई भी वायरल संक्रमण होने पर गर्भवतियों में गर्भपात का रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में प्रिमेच्योर डिलीवरी की नौबत आती है। सामान्य महिलाओं की अपेक्षा गर्भवतियों में कोरोना संक्रमण का भी खतरा ज्यादा होता है। संक्रमित होने पर गर्भवतियों में गंभीरता बढ़ रही है। वहीं जो गर्भवतियां दूसरे या तीसरे स्टेज में होती हैं, उनके गर्भाशय का साइज बढ़ने से फेफड़ों की कार्यक्षमता पहले सी ही कम हो जाती है। संक्रमण होने पर भी फेफड़े पर ही वार होता है। इस दौरान कई कुछ गर्भवतियों का स्वत: गर्भपात हो जा रहा है। जबकि कुछ के फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए प्रिमेच्योर डिलीवरी डाक्टरों के परामर्श पर कराई जाती है। इसके बाद यूट्रस का साइज कम हो जाता है तो फेफडों की कार्यक्षमता बढ़ती है। साथ ही जो दवाएं पहले नहीं चला सकते थे, वह भी चल पाती हैं।

भ्रूण पर सीधे वार की स्टडी नहीं: गर्भ के पहले स्टेज में चल रही कई गर्भवतियों में भी कोविड संक्रमण की वजह से गर्भपात कराना पड़ रहा है। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार जो दिक्कत हो रही है, वह गर्भवतियों की वजह से हो रही है। केजीएमयू के क्वीनमैरी अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. एसपी जायसवार कहती हैं कि गर्भवतियों में स्ंक्रमण के बाद जो भी दिक्कतें आ रही हैं, वह सीधे भ्रूण पर असर नहीं कर रहीं, बल्कि गर्भवतियों में संक्रमण की वजह से हो रही हैं। भ्रूण पर सीधे असर होने को लेकर कोई स्टडी भी नहीं है।

घर से बाहर न निकलें: प्रो. इंदु साहू कहती हैं कि गर्भवतियों को संक्रमण से बचना ही बेहतर है। इसके लिए वह घर से न निकलें। कहीं जाने पर डबल मास्क लगाएं। हैंड सैनिटाइजेशन व शारीरिक दूरी का पालन करें। घर के किसी सदस्य का बाहर आना जाना है या कोई बीमार है तो उसके संपर्क में न आएं।

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