आंबेडकर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों का दावा, मिट्टी के मटके से प्यूरीफाई हो रहा पीने का पानी, यहां पढ़ें पूरी खबर
Ambedkar University research एक ओर जहां बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में मेधावियों को स्वर्ण पदक दिया जा रहा था तो दूसरी ओर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी प्रेक्षागृह के बाहर जल और पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी दी जा रही थी।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। एक ओर जहां बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में मेधावियों को स्वर्ण पदक दिया जा रहा था तो दूसरी ओर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी प्रेक्षागृह के बाहर जल और पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी दी जा रही थी। पानी की हर एक बूंद को बचाने और पौधों से मिलने वाली आक्सीजन की जानकारी माडल के साथ दी जा रही थी। प्रदर्शनी के माध्यम से आंबेडकर विश्वविद्यालय के नवाचार और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों को प्रदर्शित किया गया। 10 शोधार्थी अपने मार्गदर्शक शिक्षकों के साथ मिलकर प्रदर्शन किया।
पर्यावरण विभाग के सहायक प्रोफेसर डा.नरेंद्र कुमार ने बताया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्यूरीफायर के बजाय मिट्टी के मटके का प्रयोग करके शुद्ध पानी प्राप्त किया जा सकता है। पानी से निकलने वाले अपशिष्ट से खाद बनाई जा सकती है। दो मटके के प्रयोग से बने माडल की जानकारी लेते शोधार्थी व मेधावी नजर आए। इस दौरान यह भी बताया गया कि मटके का पानी पीने से काफी हद तक मिनरल भी मिलता है। हालांकि, कोरोनाकाल में ज्यादातर लोगों ने फ्रीज का पानी पीना बंद कर दिया है। गमले में लगाए जाने वाले पौधों की जानकारी भी माडल के माध्यम से दी जा रही है।
आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.संजय सिंह ने बताया कि विवि में स्थापित ग्रीन कोर कमेटी के सदस्य समय-समय पर पौधारोपण कर पर्यावरण को बढ़ाते हैं। ग्रीन कोर कमेटी के सदस्यों के निर्देशन में प्रदर्शनी लगाई गई। कमेटी के सदस्य प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता ने बताया कि परिसर में तालाब बनाने के साथ ही जलीय जीवों के संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है। कमेटी के सदस्य मिलकर वैटलैंड को संवारने का कार्य करते हैं। परिसर में सौर ऊर्जा को संरक्षित कर उससे बिजली बनाई जा रही है। सोलर प्लांट के साथ ही प्राकृतिक वातावरण की जानकारी भी शोधार्थियों की ओर से दी जा रही थी।