DR Sugestions on Coronavirus: मॉडरेट मरीजों की जान बचाने में संजीवनी साबित हो रही स्टेरायड

स्टेराइड के शॉर्ट टर्म कोर्स से कोई नुकसान नहीं मगर हर किसी को देना जरूरी नहीं। खांसी-बुखार छह-सात दिन से ज्यादा जारी रहे तो स्टेरायड देेने से बच सकती है जान। साइटोकाइन स्टॉर्म को रोक इम्यून सप्रेशन का काम करती है यह दवा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 09:18 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 09:18 AM (IST)
DR Sugestions on Coronavirus: मॉडरेट मरीजों की जान बचाने में संजीवनी साबित हो रही स्टेरायड
आक्सीजन स्तर 94 से नीचे जा रहा है तो डाक्टर की निगरानी में स्टेराइड की डोज शुरू कर देनी चाहिए।

लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्रा]। कोरोना संक्रमण काल में विशेषकर मॉडरेट मरीजों में स्टेराइड संजीवनी का काम कर रही है। खास बात यह है कि बेहद शॉर्ट टर्म कोर्स मरीजों को कराया जा रहा है। इसका उनके शरीर पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। मरीज के ठीक होने पर फेफड़ों में होने वाले फाइब्रोसिस की आशंका को भी यह कम कर रही है। हालांकि, हर मरीज को देना जरूरी नहीं है। विशेषकर उन मरीजों को यह दवा दी जाती है, जिनका साइटोकाइन स्टॉर्म बिगड़ चुका है।

केजीएमयू में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. वेद प्रकाश कहते हैं कि विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त आरटीपीसीआर, एंटिजन व अन्य तरह की स्क्रीनि‍ंग नहीं हो पा रही है। ऐसे में कोरोना मरीजों की पहचान कर पाना मुश्किल हो रहा है। इस स्थिति में कोविड से होने वाली भीषण तबाही को रोकना देश के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति में खांसी, बुखार, जुकाम, उल्टीदस्त, स्वाद या सुगंध का गायब होना, सांस में तकलीफ इत्यादि में से कोई भी लक्षण आ चुका है तो जांच का इंतजार किए बगैर कोविड प्रोटोकॉल के तहत आइवरमेक्टिन व डाक्सीसाइक्लिन की डोज पहले दिन से ही शुरू कर दिया जाना चाहिए। यदि किसी कोरोना पाजिटिव या निगेटिव व्यक्ति में खांसी, बुखार या सांस में तकलीफ पांच से छह दिनों तक रहती है या आक्सीजन स्तर 94 से नीचे जा रहा है तो डाक्टर की निगरानी में स्टेराइड की डोज शुरू कर देनी चाहिए।

पहली डोज हाई फिर लो

इसमें पहली डोज 16 एमजी सुबह शाम या उससे भी अधिक दे सकते हैं। दूसरे दिन सुबह शाम आठ एमजी और फिर तीसरे दिन से चार एमजी कर दें। चार-पांच दिन बाद इसे बंद कर दें।

हृदयाघात व फाइब्रोसिस को रोकने के लिए स्टेरायड जरूरी

लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डा. विक्रम सि‍ंह कहते हैं कि मॉडरेट मरीजों में इन्फ्लैमेटरी मार्कर तेजी से बढऩे लगते हैं। सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), इन्फेरिटिन, आइएल-6, ईएसआर इत्यादि का स्तर भी बढ़ता है। इसलिए स्टेरायड देना जरूरी हो जाता है। यह शरीर में सूजन कम करता है। इससे रक्तवाहिकाओं में पर्याप्त आक्सीजन संचारित होने से वह फेफड़ों तक पहुंचती है। फेफड़ों में होने वाले फाइब्रोसिस की आशंका भी इससे कम हो जाती है। रक्त गाढ़ा होने से हृदयाघात व ब्रेन स्ट्रोक के खतरे भी दूर होते हैं। इसीलिए जिनके इन्फ्लैमेटरी मार्कर ज्यादा बढ़े होते हैं, उन्हें खून पतला करने की दवा भी दी जाती है। दो सप्ताह तक स्टेराइड लेने से शरीर पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। यह वायरस पर हमला करती है, इससे इम्युनिटी सिस्टम स्वत: सक्रिय होने लगता है। 

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