यूपी में लखनऊ समेत पांच शहरों में आयकर का छापा, दो सौ करोड़ के अघोषित लेनदेन के दस्तावेज बरामद

आयकर विभाग की टीमों ने लखनऊ के अलावा जौनपुर बस्ती वाराणसी जौनपुर और कोलकाता में गुरुवार सुबह छापा मारा था जो शुक्रवार रात तक करीब 44 घंटे चला था। आयकर विभाग ने हालांकि प्रेस नोट में ग्रुप का नाम नहीं लिया।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:24 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 10:17 AM (IST)
यूपी में लखनऊ समेत पांच शहरों में आयकर का छापा, दो सौ करोड़ के अघोषित लेनदेन के दस्तावेज बरामद
तीन करोड़ की नकदी सीज, 16 लॉकर निगरानी में। कई बोगस कंपनियों से लिया गया करोड़ों का लोन।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। राजधानी सहित पांच शहरों में एक ग्रुप पर पड़ी आयकर रेड में बड़े पैमाने पर फर्जी कंपनियों के जरिये लेनदेन की बात सामने आई है। आयकर विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में गुरुवार को मीडिया, खनन और होटल सहित कई व्यवसाय करने वाले ग्रुप पर पड़े छापों के दौरान दो सौ करोड़ से अधिक अघोषित लेनदेन बताया गया है। ट्रांसजेक्शन के डिजिटल दस्तावेजों को आयकर विभाग ने कब्जे में ले लिया है। इसके अलावा तीन करोड़ की नकदी भी सीज की गई है। साथ ही 16 लॉकर भी निगरानी में रखे गए हैं।

आयकर विभाग की टीमों ने लखनऊ के अलावा जौनपुर, बस्ती, वाराणसी, जौनपुर और कोलकाता में गुरुवार सुबह छापा मारा था, जो शुक्रवार रात तक करीब 44 घंटे चला था। आयकर विभाग ने हालांकि प्रेस नोट में ग्रुप का नाम नहीं लिया, लेकिन गुरुवार को भारत समाचार चैनल के कार्यालय के अलावा कई जगहों पर रेड डाली थी। आयकर विभाग के प्रेस नोट के मुताबिक जिस ग्रुप पर रेड डाली गई वह मीडिया के अलावा खनन, होटल और शराब व्यवसाय से जुड़ा है। करीब दो सौ करोड़ से अधिक रुपये के ट्रांजेक्शन के अलावा तीन करोड़ से अधिक की नकदी भी बरामद की गई। एक दर्जन से अधिक लॉकर भी निगरानी में रखे गए हैं। आयकर विभाग की जांच में यह भी सामने आया है कि ग्रुप का कई बेनामी कंपनियों के नाम पर लेनदेन चल रहा था। तमाम ऐसे ट्रांसजेक्शन हैं जो अघोषित हैं।

जांच में 15 से अधिक ऐसी कंपनियों के बारे में भी पता चला है जिनका पता कोलकाता और दूसरी जगहों पर दिखाया गया है, लेकिन इनका अस्तित्व ही नहीं है। इन बोगस कंपनियों के मार्फत तीस करोड़ रुपये से अधिक पैसा कंपनी के लिए जुटाया गया। करीब चालीस करोड़ रुपये से अधिक का लोन मीडिया हाउस को बोगस कंपनियों से दिलाया गया है, जिनका खुद की किसी तरह की वित्तीय क्षमता नहीं है। कई ऐसी कंपनियों ने लोन दिया, जिनका ना तो बिजनेस है और ना ही कहीं पर कार्यालय मौजूद है। दस्तावेजों पर फर्जी पते डाले गए हैं।

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