ILD Conclave 2019 : सांस फूलना और सूखी खांसी फेफड़ा सिकुडऩे के लक्षण

आइएलडी कॉन्क्लेव-2019 में विशेषज्ञों ने बताए फेफड़ेे को स्वस्थ रखने के उपाय।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 09:36 PM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 09:36 PM (IST)
ILD Conclave 2019 : सांस फूलना और सूखी खांसी फेफड़ा सिकुडऩे के लक्षण
ILD Conclave 2019 : सांस फूलना और सूखी खांसी फेफड़ा सिकुडऩे के लक्षण

लखनऊ, जेएनएन। इंडियन चेस्ट सोसाइटी (यूपी चैप्टर), किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पाइरेट्री मेडिसिन विभाग और लखनऊ चेस्ट क्लब द्वारा संयुक्त रूप से सोमवार को शहर के एक निजी होटल में आइएलडी कॉन्क्लेव 2019 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बताया कि सांस फूलना और सूखी खांसी आए तो सावधान हो जाना चाहिए। 

इस अवसर पर नेशनल कॉलेज ऑफ  चेस्ट फिजीशियन (भारत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केजीएमयू के रेस्पाइरेट्री मेडिसिन विभाग केअध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि इंटरस्टीशियल लंग डिजीजेज (आइएलडी) लगभग 200 बीमारियों का समूह है। जागरूकता न होने के कारण अक्सर इसे लोग अस्थमा व टीबी समझ लेते हैं। आमतौर पर इसे फेफड़ा सिकुडऩे की बीमारी कहते हैं। वैश्विक स्तर पर इस बीमारी सेकरीब 50 लाख मरीज पीडि़त हैं, जबकि भारत में करीब 10 लाख मरीज हैं। 

धूमपान और वायु प्रदूषण प्रमुख कारण

डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि आइएलडी के प्रमुख लक्षण सांस फूलना तथा सूखी खांसी आना है। बीमारी का प्रमुख कारण धूमपान, वायु प्रदूषण, पशु-पक्षियों के पास रहना (एक्पोजर) है। उन्होंने बीमारी से ग्रस्त मरीजों केरिहैबिलिटेशन (पुनर्वास) के बारे में जानकारी दी। मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा के निदेशक डॉ. दीपक तलवार ने आइएलडी के आधुनिक उपचार व दवाओं से जुड़ी जानकारी दी। इंडियन चेस्ट सोसाइटी (यूपी चैप्टर) के सचिव डॉ. एके सिंह ने आइएलडी के कारणों तथा उसके निवारण के बारे में बताया।

एसजीपीजीआइ के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. आलोक नाथ, केजीएमयू के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ कई अन्य डॉक्टरों ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। इनके अलावा डॉ. मधुमती गोयल, डॉ. एसके वर्मा, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. दर्शन कुमार बजाज, डॉ. मनोज पांडेय तथा रेजीडेंट्स भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सीनियर रेजीडेंट डॉ. ज्योति वाजपेयी ने किया।

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