Coronavirus Advice: ठीक होकर एकदम से ज्यादा कसरत न करें, जान‍िए व‍िशेषज्ञों की राय

Doctor advice to patients with corona virus infection कोविड से ठीेक होने के बाद भी बरतें काफी सतर्कता। हृदयाघात और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन रहा साइलेंट कोविड। अचानक बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या वाकि‍ंग भी खतरनाक हो सकती है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 10:46 AM (IST)
Coronavirus Advice: ठीक होकर एकदम से ज्यादा कसरत न करें, जान‍िए व‍िशेषज्ञों की राय
लक्षणों को नजरअंदाज करने से मौत के मुंह में समा रहे मरीज।

लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्रा]। कोरोना इन दिनों बेहद संक्रामक होने के साथ ही रहस्यमयी भी हो चुका है। अधिसंख्य बिना लक्षण वाले मरीजों में छुपकर वार कर रहा है। ऐसे में कोरोना मरीज खुद के ठीक होने का भ्रम पाल ले रहे हैं। यही वजह है कि साइलेंट कोविड मरीजों में हृदयाघात व ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक ठीक होने वाले और बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए अचानक बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या वाकि‍ंग भी खतरनाक हो सकती है। यह सब धीरे-धीरे बढ़ाएं। रोजाना कम से कम तीन लीटर पानी जरूर पिएं। इससे खून गाढ़ा होने की आशंका कम होने के साथ हृदयाघात का खतरा भी टलेगा।

लोहिया संस्थान में ऐसे कई मामले रिपोर्ट हुए हैं, जिन्हें हृदयाघात या ब्रेन स्ट्रोक हो जाने के बाद जांच में पता चला कि उनकी यह स्थिति कोविड संक्रमण की वजह से हुई। हल्के-फुल्के खांसी-बुखार के लक्षणों को वह नजरअंदाज करते रहे। इससे वह ब्रेन स्ट्रोक व हृदयाघात के शिकार हो गए। विशेषज्ञों के अनुसार ईसीजी-ट्रॉप आइ और डी-डायमर जैसी कुछ जांचों से ऐसे मरीजों में मौत के खतरे को टाला जा सकता है।

लोहिया संस्थान में न्यूरोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. दीपक सि‍ंह कहते हैं कि हमारे पास हाल में ब्रेन स्ट्रोक के कई ऐसे केस आए, जिनकी जांच करने पर पता चला कि वह कोविड पाजिटिव हैं। वह कोरोना के लक्षणों को नजरअंदाज कर रहे थे। कोविड संक्रमण की वजह से रक्त गाढ़ा हो गया। इससे दिल व दिमाग की नसों को पर्याप्त आक्सीजन नहीं पहुंच पाई। लिहाजा स्थिति ब्रेन स्ट्रोक तक पहुंच गई। इस तरह के काफी केस आ रहे हैं। हाल ही में तीन-चार केस ऐसे आए जिनमें से एक की उम्र महज 26 साल, दूसरे की 32 व तीसरे की करीब 42 वर्ष थी।

घर पर रहने वाले मरीज रहें ज्यादा सतर्क : डा. दीपक कहते हैं कि जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, उनकी तो खून पतला करने की दवा चलाई जाती है, मगर जो घर पर हैं उनमें ज्यादा सतर्कता की जरूरत है। ऐसे मरीजों में सीने में तेज दर्द, बोलने में लडख़ड़ाहट, चबाकर निगलने में दिक्कत इत्यादि हो तो डाक्टर की निगरानी में खून पतला करने की दवा कुछ दिनों चला देनी चाहिए। यह ब्रेन स्ट्रोक व हृदयाघात के खतरे को टालेगी। इसे कुछ दिन देने से कोई नुकसान नहीं है। जिन मरीजों को दिक्कत हो रही है, उन्हें ईसीजी व ट्रॉप-आइ टेस्ट करा लेना चाहिए।

रोज पीएं तीन लीटर पानी : लोहिया संस्थान में कार्डियोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. भुवनचंद्र तिवारी कहते हैं कि जिन मरीजों को पहले से शुगर, बीपी व मोटापा की दिक्कत है, उन्हें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। डी-डायमर टेस्ट में पता चल जाता है कि मरीजों का खून गाढ़ा हो रहा है या नहीं। कोविड होने पर पूरे शरीर पर कुप्रभाव पड़ता है। ठीक होने वाले मरीजों को अचानक बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या वाङ्क्षकग भी खतरनाक हो सकती है। यह सब धीरे-धीरे बढ़ाएं। 

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