UP: डीएम बताएंगे संपत्ति का कितना है मूल्य, जानने के लिए 100 रुपये फीस के साथ करना होगा आवेदन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्टांप अधिनियम की धारा-31 के तहत किए जाने वाले आवेदन पर फीस तय करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति का मूल्य पता करने के लिए जिलाधिकारी के यहां आवेदन कर सकता है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 06:15 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 08:53 AM (IST)
UP: डीएम बताएंगे संपत्ति का कितना है मूल्य, जानने के लिए 100 रुपये फीस के साथ करना होगा आवेदन
संपत्ति का मूल्य पता करने के लिए जिलाधिकारी के पास 100 रुपये फीस के साथ आवेदन करना होगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में अब किसी तरह की संपत्ति की रजिस्ट्री कराने से पहले यदि आपको स्टांप ड्यूटी के लिहाज से उसका वास्तविक मूल्य पता करना है तो जिलाधिकारी के पास आवेदन करना होगा। आवेदन करने के लिए सरकार ने 100 रुपये फीस तय की है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में स्टांप अधिनियम की धारा-31 के तहत किए जाने वाले आवेदन पर फीस तय करने संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। धारा-31 के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति का मूल्य पता करने के लिए जिलाधिकारी के यहां आवेदन कर सकता है। आवेदन पर फीस तय करने का अधिकार सरकार को था, लेकिन अभी तक फीस तय नहीं थी।

स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि किसी तरह की संपत्ति की रजिस्ट्री करवाने के लिए उस पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी का निर्धारण संपत्ति के मूल्य के आधार पर किया जाता है। वैसे तो सर्किल रेट के आधार पर स्टाम्प ड्यूटी निकाली जाती है, लेकिन ड्यूटी को लेकर किसी तरह का संशय या बाद में विवाद न हो, इसके लिए कोई भी व्यक्ति संपत्ति का वास्तविक मूल्य पता करने के लिए जिलाधिकारी के पास आवेदन कर सकता है।

ट्रेजरी चालान के माध्यम से 100 रुपये फीस जमाकर किए जाने वाले आवेदन पर जिलाधिकारी संपत्ति का जो भी मूल्य (सर्किल रेट से कम या ज्यादा) तय कर देंगे, उसी पर स्टांप ड्यूटी देनी होगी। इस तरह से संपत्ति की रजिस्ट्री होने के बाद स्टांप ड्यूटी को लेकर किसी तरह का न कोई विवाद खड़ा हो सकता है और न ही स्टांप ड्यूटी की चोरी का केस चल सकता है। मंत्री का मानना है कि ऐसे में स्टांप एक्ट के तहत स्टांप ड्यूटी को लेकर दर्ज होने वाले मुकदमों में भी काफी कमी आएगी।

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