मकान बनवाने में करें भांग का इस्तेमाल, मिलेंगे इतने फायदे
आंचलिक विज्ञान नगरी में तीन दिवसीय साइंस एक्सपो का आयोजन। बच्चों को दी जा रही नए-नए नवाचारों का प्रशिक्षण।
लखनऊ, जेएनएन। कभी सोचा है कि सौ दो सौ साल के बाद भी विरासतें कैसे महफूजखड़ी हैं जबकि नई बनीं इमारतों में दीमक एक बड़ी समस्या है। अजंता एलोरा गुफाओं की जब वैज्ञानिकों ने जांच की तो पता चला कि इसमें भांग का प्रयोग किया गया है जो दीमक से उसे सुरक्षित रखता है।
आंचलिक विज्ञान नगरी में सोमवार से शुरू हुई तीन दिवसीय साइंस एक्सपो का उद्घाटन करते हुए एनआरएलसी के महानिदेशक डॉ.मैनेजर सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भांग जिसका वैज्ञानिक नाम केनेबिस सैटाइवा है उसे यदि सीमेंट में दस फीसद भी मिला दिया जाए तो दीमक से निजात मिल सकती है। यही नहीं, भांग घर को गर्मी में ठंडा और जाड़े में गर्म रखती है। इसके अलावा घर या कमरे में उत्सर्जित होने वाली कार्बन-डाई-ऑक्साइड को 200 से 250 गुना तक एब्जॉर्ब कर लेता है। यही नहीं, भांग मिलाने से कमरे की आवाज भी बाहर नहीं जाती है। यानी ग्रीन हाउस के लिए भांग बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉ सिंह ने बताया कि अजंता-एलोरा की गुफाओं में पत्थर की मूर्तियों में दरारें एक बड़ी समस्या थी। इसके संरक्षण के लिए मीडियम की तलाश हुई। इसके लिए पेट्रोल में बालू के नैनो कणों को मिलाकर इथाइल सिलिकेट बनाया। इसे दरारों में डाला गया, कुछ समय बाद पेट्रोल उड़ गया ओर बालू से दरारें भर गईं।
बेसिक शिक्षा की संयुक्त निदेशक ललिता प्रदीप ने कहा कि इस साइंस एक्सपो का लाभ उठाएं। विज्ञान नगरी के परियोजना समन्वयक डॉ.राज मेहरोत्रा ने बताया कि एक्सपो में लखनऊ की सात वैज्ञानिक संस्थाएं एवं विश्वविद्यालय अपने-अपने शोध कार्यों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के जरिए वैज्ञानिक संस्थाओं तथा विद्यार्थियों के बीच सीधा संपर्क स्थापित होता है।
बच्चों को आकर्षित कर रही नवप्रवर्तन लैब
सीमैप के पूर्व वैज्ञानिक डॉ.आनन्द अखिला ने बताया कि विज्ञान नगरी में स्थित नवप्रवर्तन लैब में विद्यार्थियों को नई-नई जानकारी दी जाती है। बिना मिट्टी के फल-फूलों की खेती, सुगंध से तरह-तरह की बीमारियों का इलाज, रोबोटिक्स, एलइडी बल्ब, 3-डी प्रिन्टिंग, ड्रोन, रिमोट नियंत्रित कार इत्यादि की ट्रेनिंग दी जा रही है। बच्चे अपनी इच्छानुसार आकर तरह-तरह के प्रयोग खुद करते हैं।