आलू को झुलसा रोग से बचाने वाले जीवाणु की खोज, अयोध्‍या के नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय को मिली सफलता

यह महत्वपूर्ण खोज आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी डा. आदेश कुमार व शोध छात्र आशुतोष ने की है। बैसिलस सेरियस कल्चर की खोज आलू किसानों के लिए वरदान साबित होगी। जीवाणु कल्चर के जरिये बैसिलस सेरियस का इस्तेमाल करके बनेगी जैविक खाद।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 06:04 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 03:27 PM (IST)
आलू को झुलसा रोग से बचाने वाले जीवाणु की खोज, अयोध्‍या के नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय को मिली सफलता
महज खाद के इस्तेमाल से फसल पर झुलसा रोग के प्रभाव को काबू कर सकेंगे किसान।

अयोध्‍या, [प्रवीण तिवारी]। आलू की खेती करने वाले किसानों को अब झुलसा रोग को लेकर चि‍ंतित होने की जरूरत नहीं है। इसके इलाज के लिए जीवाणु बैसिलस सेरियस को खोज लिया गया है। इस जीवाणु कल्चर से तैयार जैविक खाद के प्रयोग से झुलसा रोग का प्रभाव आसानी से खत्म किया जा सकेगा। यह महत्वपूर्ण खोज आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी डा. आदेश कुमार व शोध छात्र आशुतोष ने की है। बैसिलस सेरियस कल्चर की खोज आलू किसानों के लिए वरदान साबित होगी। तरल खाद के रूप में इसका छिड़काव करके किसान आलू की फसल को झुलसा रोग से बचा सकेंगे। इस कल्चर को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव कल्चर संग्रह सेंटर मऊ में रखा गया है। इसी से कंपनियां जैविक खाद निर्मित करेंगी।

इस तरह खोजा कल्चर : आलू खेत की मिट्टी पर शोध कर बैसिलस सेरियस कल्चर खोजा गया। प्रयोगशाला में आलू की अगेती प्रजाति में लगने वाले झुलसा रोग के कारक कवक एकत्र किए गए। इस पर जीवाणु का परीक्षण किया गया, जिसमें 99 फीसद सफलता मिली। बाद में इसे संरक्षित करने के लिए मऊ के कल्चर संग्रह केंद्र भेजा गया, जहां प्रयोग के बाद इसके संरक्षण को हरी झंडी दी गई। सेंटर से डा. आदेश को कल्चर की सफलता की सूचना दी गई। साथ ही इसका प्रमाणपत्र दे दिया गया।

बायो खाद निर्माण को दिए जाएंगे म्यूचुअल कल्चर : गत दो वर्ष से कल्चर का परीक्षण जारी था। शोधकर्ता डा. आदेश ने बताया कि जो फर्म इस कल्चर का प्रयोग कर बायो खाद तैयार करना चाहेगी, उसे म्यूचुअल कल्चर दिया जाएगा। तभी वह बड़े पैमाने पर खाद तैयार कर सकेगी।

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