Diabetic Retinopathy: अब रेटिना की पर्त में आए संरचनात्मक बदलाव के आधार पर तय होगी थेरेपी

डायबिटीज के मरीजों में डीआर की वजह से दृष्टि जाना आम है। जो पांच वर्ष से डायबिटीज से ग्रसित हैं उनमें 30 फीसद लोग इसकी जद में आ सकते हैं। जिन्हें 15 वर्ष से अधिक समय से डायबिटीज है उनमें 78 फीसद लोगों को डीआर की शिकायत हो सकती है।

By Mahendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 03:43 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 03:43 PM (IST)
Diabetic Retinopathy: अब रेटिना की पर्त में आए संरचनात्मक बदलाव के आधार पर तय होगी थेरेपी
डायबिटीज के मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी की वजह से सबसे आम है दृष्टि जाना

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। अब यह पता लगाना आसान होगा कि डायबिटिक रेटिनोपैथी (डीआर) के उपचार के लिए दी जा रही एंटी-वीईजीएफ (एंटी वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर) थेरेपी कितनी कारगर होगी। मरीज को कितनी डोज दी जाए। नजर वापस लाना मुमकिन है अथवा नहीं। यदि है तो इसमें कितना वक्त लगेगा। केजीएमयू के नेत्र विभाग के प्रोफेसर डाक्टर संदीप सक्सेना का लेख प्रसिद्ध यूरोपियन जर्नल ऑप्थेलमोलॉजी 2021 के जून अंक में प्रकाशित हुआ है। माना जा रहा है कि डीआर के उपचार में यह अध्ययन नई दिशा देगा।

डाक्टर सक्सेना ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों में डीआर की वजह से दृष्टि जाना सबसे आम है। ऐसे मरीज जो पांच वर्ष से डायबिटीज से ग्रसित हैं, उनमें 30 फीसद लोग इसकी जद में आ सकते हैं। जिन्हें 15 वर्ष से अधिक समय से डायबिटीज है, उनमें 78 फीसद लोगों को डीआर की शिकायत हो सकती है। विश्व में 10 करोड़ लोग प्रभावित हैं। इनमें से 2.1 करोड़ लोगों का इलाज संभव है।

डाक्टर सक्सेना बताते हैं कि ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) मशीन जिसका प्रयोग बीते दो दशकों से रेटिना की इमेजिंग के लिए किया जाता है, उससे रेटिना में होने वाले संरचनात्मक बदलाव को भी देखा जा सकता है। इन बदलावों के आधार पर इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि डीआर की गंभीरता क्या है। उपचार के लिए कितने इंजेक्शन दिए जाएं, जिससे मरीज की दृष्टि वापस आ सके। मशीन यह भी बताएगी कि मरीज की दृष्टि सामान्य हो सकेगी अथवा नहीं।

अभी तक डीआर के उपचार के लिए चिकित्सक इंजेक्शन तो लगाते थे, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं हो पाती थी कि बीमारी किस हद तक ठीक हुई। यह भी पता लगाना मुश्किल होता था कि कितने इंजेक्शन के बाद मरीज की नजर सामान्य हो पाएगी। माना जा रहा है कि इस अध्ययन से डायबिटिक रेटिनोपैथी के उपचार के प्रबंधन में चिकित्सकों को नई दिशा मिलेगी।

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