लखनऊ विश्वविद्यालय को दो करोड़ देगा रक्षा मंत्रालय, विशेष प्रोफेसर की होगी नियुक्ति

Lucknow University देश का रक्षा मंत्रालय जल्द ही लखनऊ विश्वविद्यालय (लवि) को दो करोड़ रुपए का फंड देगा। जिसकी मदद से विश्वविद्यालय में पहली बार शोध के लिए प्रोफेसर चेयर स्थपित की जाएगी। मंत्रालय ने इसके लिए विश्वविद्यालय से प्रस्ताव मांगा था। जिसे बनाकर भेज दिया गया है।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 11:18 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 07:25 AM (IST)
लखनऊ विश्वविद्यालय को दो करोड़ देगा रक्षा मंत्रालय, विशेष प्रोफेसर की होगी नियुक्ति
यह शोध चेयर लखनऊ विश्वविद्यालय के डिफेंस स्टडी विभाग में संचालित होगी।

लखनऊ, [अखिल सक्सेना]। देश का रक्षा मंत्रालय जल्द ही लखनऊ विश्वविद्यालय (लवि) को दो करोड़ रुपए का फंड देगा। जिसकी मदद से विश्वविद्यालय में पहली बार शोध के लिए प्रोफेसर चेयर स्थपित की जाएगी। मंत्रालय ने इसके लिए विश्वविद्यालय से प्रस्ताव मांगा था। जिसे बनाकर भेज दिया गया है। इस प्रोफेसर चेयर में नेशनल सिक्युरिटी के चैलेंज पर शोध किए जाएंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय में अभी तक भाऊराव देवरस शोध पीठ, अटल बिहारी वाजपई शोध पीठ सहित कई अन्य शोध पीठ स्थापित हैं। इनमें सेमिनार सहित अन्य कार्यक्रम होते हैं। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि विश्वविद्यालय के 101 साल के इतिहास में पहली बार प्रोफेसर चेयर मिलेगी। यह बड़ी उपलब्धि है। इसमें दो करोड़ रुपये का फंड रक्षा मंत्रालय देगा। जिसकी मदद से एक ऐसे प्रोफेसर की नियुक्ति की जाएगी जो नेशनल सिक्युरिटी के चैलेंज पर शोध करेगा। 

मंत्रालय को भेजेंगे शोध की रिपोर्टः यह शोध चेयर लखनऊ विश्वविद्यालय के डिफेंस स्टडी विभाग में संचालित होगी। कुलपति आलोक कुमार राय के मुताबिक देश में नेशनल सिक्युरिटी के लिए सायबर अटैक सहित कई चैलेंज बढ़ रहे हैं। इस चेयर के माध्यम से शोध करके इसकी चुनौतियों और उससे निपटने के सुझाव आदि पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह वार्षिक रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी जाएगी। 

आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी होगा शोधः विश्वविद्यालय शहर के करीब 1500 आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी शोध करेगा। इसकी जिम्मेदारी हाल ही में स्थापित किए गए महिला विकास केंद्र को दी गई है, जो कि महाविद्यालयों के साथ मिलकर इस पर काम करेगा। कुलपति ने बताया कि शोध में देखा जाएगा कि केंद्रों पर दी जाने वाली सुविधाओं की क्या स्थिति है। साथ ही इस बात की भी निगरानी होगी कि जिस उद्देश्य के साथ योजना शुरू की गई, उसका लाभ मिल रहा है या नहीं। कुलपति के मुताबिक, अभ्यर्थियों के भविष्य के लिहाज से यह बहुत महत्वपूर्ण निर्णय साबित होगा। 

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