Dudhwa National Park: दुधवा नेशनल पार्क के खुलने पर आठ नवंबर को होगा निर्णय, बाढ़ की स्थिति को लेकर होगा मूल्‍यांकन

इस बार दुधवा राष्ट्रीय उद्यान एक नवंबर से पर्यटकों के लिए खोला जाना था लेकिन अचानक आई बाढ़ ने प्रतीक्षा बढ़ा दी है। यहां भ्रमण के लिए पर्यटकों को इंतजार करना पड़ेगा। अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं कि यहां की स्थिति कब सामान्य होगी।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 09:27 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 03:16 PM (IST)
Dudhwa National Park: दुधवा नेशनल पार्क के खुलने पर आठ नवंबर को होगा निर्णय, बाढ़ की स्थिति को लेकर होगा मूल्‍यांकन
इस बार एक नवंबर से नहीं खुल पाएगा दुधवा।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान एक नवंबर से पर्यटकों के लिए खोला जाना था, लेकिन अचानक आई बाढ़ ने प्रतीक्षा बढ़ा दी है। यहां भ्रमण के लिए पर्यटकों को इंतजार करना पड़ेगा। अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं कि यहां की स्थिति कब सामान्य होगी। हालांकि वन्यजीवों ने अपना आश्रय यहां ढूंढ लिया है। वे जंगल के ऊपरी भूभागों में शरण ले चुके हैं।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के उप निदेशक संजय पाठक भी मानते हैं कि इस बार दुधवा समय से नहीं खुल पाएगा। पूरे रास्ते में करीब चार फीट तक पानी भरा हुआ है। जंगल के रास्ते बहुत खराब हो गए हैं। जगह-जगह पर सड़के ऊंची-नीची या गड्ढे वाली होती हैं। वहां वाहन नहीं जा सकते हैं। स्थिति का आकलन किया जा रहा है, जल्द ही फैसला लिया जाएगा। यह पहली बार हुआ है जब दुधवा खुलने के समय पर बाढ़ आ गई है। जिला वन अधिकारी (डीएफओ) अनिल पटेल का कहना है कि अभी बाढ़ की स्थिति सामान्य होने की संभावना नजर नहीं आ रही है। फिर भी आठ नवंबर को फिर से मूल्यांकन किया जाएगा। उद्यान का भ्रमण किया जाएगा। तब जैसी स्थिति बनेगी, उस हिसाब से निर्णय लिया जाएगा। अभी इसमें भी संशय है कि दुधवा अपने समय यानी 15 नवंबर से भी खुल पाएगा या नहीं।

संजय पाठक के मुताबिक, एक नवंबर से दुधवा खोले जाने की तैयारियां पूरी कर ली गयी थी। लेकिन बाढ़ से स्थिति और खराब हो गई है। इस बार जब दुधवा खुलेगा तो यहां का दृश्य भी एकदम अलग होगा। पर्यटकों को यहां के ऑडिटोरियम में एलईडी स्क्रीन पर तस्वीरें दिखाई जाएंगी। तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पहले प्रोजेक्टर से दिखाई जाती थी।

10 दिन बिना खाए रह सकते हैं वन्यजीव : वन्यजीव विशेषज्ञ डा. जितेंद्र कुमार शुक्ला बताते हैं कि बाढ़ में वन्यजीव अपना आश्रय ढूंढ़ लेते हैं। वे पानी में तैरकर किसी ऊंचे स्थानों पर जाकर बैठ जाते हैं। रही बात उनके भोजन की तो वे कम से कम 10 दिनों तक बिना भोजन किए रह सकते हैं, लेकिन सबसे चिन्ताजनक समस्या यह है कि ऐसे मौके पर वन्यजीवों का शिकार भी बढ़ जाता है।

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