लखनऊ में चिड़ियाघर प्रशासन की लापरवाही से जेब्रा की मौत, दो दिन पहले ही आया था इसराइल से
जेब्रा बाड़े के पास से गुजरी भीड़ ने उसे देखने के लिए हल्ला मचाया। इससे जेब्रा भड़क गया और वह जाली से टकरा बैठा। इस कारण उसकी मौत हो गई। उसके शरीर में चोट के निशान भी हैं। जेब्रा काफी संवेदनशील वन्य जीव होता है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। इजराइल से लाए गए जेब्रा की मौत ने चिड़ियाघर प्रशासन के इंतजाम पर सवाल खड़ा कर दिया है। इन जेब्रा को एकांतवास दिया जाना था जिससे वह किसी अन्य के संपर्क से दूर रहे लेकिन ऐसा नहीं किया गया डीजीपी कार्यालय के पास वाले गेट से जेब्रा बाड़े की तरफ दर्शकों का आना-जाना रहा, हालांकि वहां पर्दा लगा था, लेकिन दर्शक उसे देखने के लिए अति उत्साहित नजर आ रहे थे।
शनिवार को सुबह 10:30 बजे के करीब जेब्रा बाड़े के पास से गुजरी भीड ने उसे देखने के लिए हल्ला मचाया, इससे जेब्रा भड़क गया और वह जाली से टकरा बैठा जिसके कारण उसकी मौत हो गई। इस कारण ही उसके शरीर में चोट के निशान भी आए हैं। जेब्रा काफी संवेदनशील वन्य जीव होता है। किसी तरीके के खतरे को देखते ही भड़क जाता है, लेकिन अगर चिड़ियाघर में उसे रखने में सावधानी बरती गई होती और दर्शक से दूरी होती तो यहां की दिनचर्या में खुद को ढाल लेता। दो दिन पहले ही उसे इजराइल से लाया गया था।तीन जेब्रा यहां लाए गए थे। एक नर और दो मादा थे। नर जेब्रा की मौत हो गई।
अभी सोमवार को तीन जेब्रा और इजराइल से लाए जाने हैं। चिड़ियाघर के निदेशक आरके सिंह का कहना है तीनों जेब्रा ने शनिवार को भी 115 किलो भोजन किया था। सब कुछ सामान्य था। निदेशक मानते हैं कि दर्शकों की तरफ से हो हल्ला मचाए जाने से जेब्रा भड़क गया और जाली से टकरा जा बैठा जिससे उसकी मौत हो गई अब उस रास्ते को बंद कर दिया गया है जहां पर जेब्रा रखे गए हैं। हालांकि उन्होंने आपस में भिड़ने की बात भी कही है। भोजन के साथ उनके इलाज के लिए नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में में 1978 में चिकित्सालय की स्थापना की गई। पुराने चिकित्सालय के सामने नए भवन का निर्माण 2009 में हुआ और 2011 में राज्य स्तरीय अस्पताल का दर्जा दिया गया। इसके बावजूद जेब्रा को बचाया नहीं जा सका।
पहले भी हुई है मौत