World Deaf-Dumb Day: बिन बोले बता रहीं जिंदगी जीने का सलीला, सामान्य लोगों के साथ काम कर रही मूक बधिर युवतियां

दिव्यांगता अभिशाप नहीं बल्कि समाज से हटकर कुछ अलग करने का जज्बा पैदा करता है। इसे लेकर जिंदगी को कोसने के बजाय उसके साथ जीने का सलीका सीखना चाहिए। भगवान ने हर बच्चे को अलग काबलियत से नवाजा है। बस जरूरत है उस काबलियत को निखारने की।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 12:23 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 01:43 PM (IST)
World Deaf-Dumb Day: बिन बोले बता रहीं जिंदगी जीने का सलीला, सामान्य लोगों के साथ काम कर रही मूक बधिर युवतियां
कौशल विकास योजना के तहत छह महीने के कोर्स के बाद जूफिया अब एक मल्टीनेशन कंपनी में काम करती हैं।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। दिव्यांगता अभिशाप नहीं, बल्कि समाज से हटकर कुछ अलग करने का जज्बा पैदा करता है। इसे लेकर जिंदगी को कोसने के बजाय उसके साथ जीने का सलीका सीखना चाहिए। भगवान ने हर बच्चे को अलग काबलियत से नवाजा है। बस जरूरत है उस काबलियत को निखारने की। अगर समाज का सही साथ मिले तो मूक-बधिर भी आसमान छू सकते हैं। सीतापुर रोड के त्रिवेणी नगर की रहने वाली जूफिया का इशारों में यह कहना भले ही आम लोगों के समझ से परे हो, लेकिन अपने जैसे लोगों को प्रेरित जरूर करता है। कौशल विकास योजना के तहत छह महीने के कोर्स के बाद जूफिया अब एक मल्टीनेशन कंपनी में सेल्स विभाग में काम करती हैं। 

अकेली जूफिया ही नहीं अलीगंज की रागिनी भी एक शापिंग माल में सामान्य लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर न केवल काम कर रही हैं बल्कि परिवार भी चला रही हैं। दिव्यांगों को निश्शुल्क प्रशिक्षण देने वाले सौभाग्य फाउंडेशन के अमित मेहरोत्रा ने बताया कि ऐसे लोगो में सीखने की प्रवृत्ति सामान्य लोगों से कई गुना ज्यादा होती है। रागिनी के साथ ही बुशरा तो मल्टी टैलेंटेड है। वह एक मल्टीनेशन कंपनी में सेल्स एसोसिएट के तौर पर काम कर रही है। तीन युवतियां ही नहीं ऐसी 300 से अधिक दिव्यांग युवा युवतियां कंपनियों में काम करके समाज को एक नई दिशा दे रही हैं। 

इसलिए मनाया जाता है दिवसः जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी केके वर्मा ने बताया कि मूक बधिरों को सामाजिक, आर्थिक और समानता का अधिकार दिलाने के लिए 26 सितंबर को हर साल विश्व मूक बधिर दिवस मनाया जाता है। विश्व बधिर संघ (डब्ल्यूएफडी) ने वर्ष 1958 से विश्व मूक-बधिर दिवस की शुरुआत की थी। विभागीय योजनाएं मूक बधिरों को समाज की मुख्यधारा में लाने का काम करती हैं। दिव्यांगों को 500 रुपये महीने की पेंशन व मूक बधिर बच्चों का निश्शुल्क आपरेशन भी कराया जाता है।

फैशन की बारीकियां सीख भविष्य संवार सकेंगे मूक बधिरः मूक बधिर विशेष युवाओं काे के लिए डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के डेफ (बधिर) कालेज में बैचलर आफ वोकेशनल (बीवोक) कोर्स की शुरुआत हो गई है। मूक बधिर विद्यार्थियों को मल्टी मीडिया से लेकर फैशन डिजाइनिंग सहित 10 कोर्स पढ़ाए जाएंगे। विवि के कुल सचिव अमित कुमार सिंह ने बताया कि यहां सांकेतिक भाषा में विद्यार्थियों को फैशन डिजाइनिंग के गुर सीखाए जाएंगे। आइटी एंड मल्टी मीडिया, पेंट टेक्नोलॉजी व इंटीरियर डिजाइनिंग की भी समझ पैदा की जाएगी। कुलपति डा.आरकेपी सिंह के निर्देशन में कोर्स को नई ऊंचाइयां दी जाएंगी।

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