पुराने सीएनजी वाहनों को दिखाना होगा हाइड्रो टेस्ट सर्टिफिकेट
- बिना टेस्टिंग के खतरनाक हो सकता है सिलिंडर का इस्तेमाल - प्रत्येक दो से तीन साल में जरूरी
- बिना टेस्टिंग के खतरनाक हो सकता है सिलिंडर का इस्तेमाल
- प्रत्येक दो से तीन साल में जरूरी है सिलिंडर की चेकिंग
जासं, लखनऊ : चलते हुई कार या बस में अचानक आग न लगे, इसके लिए ईधन लेते समय पुराने सीएनजी वाहनों को हाइड्रो टेस्ट प्रमाणपत्र अनिवार्य रूप से दिखाना होगा। गैस कंपनियों ने पंपों को यह निर्देश दिया है कि दो साल पुराने वाहनों में बिना प्रमाणपत्र के गैस नहीं भरें।
राजधानी में ही बीते दिनों में लगातार ऐसे हादसों ने लोगों में मन में खौफ भी पैदा कर दिया है। अचानक कार में आग में लग जाने से कभी कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वाहन चालकों में जागरूकता की कमी और फिलिंग स्टेशन संचालकों के नियम-कानून ताख पर रखकर गैस भरने के कारण इस तरह के हादसे हो रहे हैं। सीएनजी या एलपीजी चालित वाहन खरीदते समय प्रत्येक दो साल पर और दूसरे तरह के वाहनों को प्रत्येक तीन साल पर हाइड्रो टेस्ट कराना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश वाहन चालक इस बात का नजरअंदाज कर सालों तक बिना टेस्टिंग के वाहन चलाते हैं, जिसका खामियाजा हादसे के रूप में भुगतना पड़ता है।
क्या है हाइड्रो टेस्ट
एलपीजी और सीएनजी हल्की और ठंडी गैस होती है। लगातार इस्तेमाल से नमी के कारण सिलिंडर की अंदरूनी परत के कमजोर होने का खतरा रहता है। सिलिंडर की दबाव क्षमता का पता लगाने के लिए हाइड्रो टेस्ट कराना अनिवार्य होता है। इसमें सिलिंडर को एक उच्च दबाव वाले कैप्सूल में डालकर उसकी क्षमता का पता लगाया जाता है। अगर उसकी परत या नोजेल में किसी तरह की दिक्कत होगी तो लीकेज का खतरा हो सकता है। राजधानी में करीब चालीस हजार के करीब गैस चालित वाहन हैं जिनमें से महज दो-तीन हजार ही हाइड्रो टेस्ट कराते हैं।