Dainik Jagran Samvadi 2019 : आइए...बुला रहा है संवादी, तीन दिन तक सिर्फ और सिर्फ बतरस का लें आनंद
Dainik Jagran Samvadi 2019 लखनऊ में 13 से 15 दिसंबर तक दैनिक जागरण संवादी भारतेंदु नाट्य अकादमी में होने जा रहा है।
लखनऊ [दुर्गा शर्मा]। मैं संवादी... भूले तो नहीं हैं ना आप? पांच साल से मैं संवाद की सतरंगी दुनिया का आपका साथी रहा हूं। वो मैं ही हूं जिसने साल दर साल साहित्य, रंगमंच, लोककला, नृत्य, गायन और वादन के दिग्गजों से आपका साक्षात्कार कराया। मेरे ही मंच पर साहित्य, राजनीति, संगीत, खान-पान, सिनेमा, धर्म और देशभक्ति समेत कई मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई। अपने छठे संस्करण के साथ मैं फिर हाजिर हूं। 13 से 15 दिसंबर तक आपको भारतेंदु नाट्य अकादमी आने का न्योता दे रहा हूं। ये वादा भी रहा कि तीन दिन तक ऐसा अनुभव मिलेगा जो सालों तक आपकी याद में ठहर जाएगा।
इस बार मेरे पिटारे में बहुत कुछ खास है। तीन दिन तक सजे मेरे आंगन में इस बार तमाम प्रकाशन भी होंगे। युवा लेखकों को प्रकाशकों के समक्ष अपनी बात रखने का अवसर भी मिलेगा। मैं इस बार लेखन की नई पौध को प्रेरित और प्रोत्साहित करने का मंच बनकर भी आया हूं।
अगर आप मुझे पहले से नहीं जानते तो मैं एक बार फिर से अपने बारे में बता रहा हूं। ताकि इस बार आप जरूर आएं और तीन दिन तक सिर्फ और सिर्फ बतरस का आनंद लें। मैं केवल साहित्यिक उत्सव नहीं, संवाद का भी मंच हूं। मेरा मंच सिर्फ वक्ताओं के लिए नहीं है, श्रोताओं को भी खुलकर विचार रखने की आजादी है। मैं तो सत्र खत्म होने के बाद वक्ताओं और श्रोताओं को आमने-सामने बात का मौका भी देता हूं।
बस आपको भाषा में शालीनता का ख्याल रखना है। ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मैं उस अखबार से जुड़ा हूं, जहां भाषा को जिम्मेदारी समझते हैं। इसीलिए तो हिंदी हैं हम अभियान भी शुरू किया गया। इसके जरिए हम हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। दैनिक जागरण अपने सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध समाचार पत्र समूह है। उसके द्वारा तैयार संवादी का ये विराट मंच हिंदी साहित्य, कला जगत को नई पहचान दे रहा है। लगातार सत्र और उतने ही अ'छे संचालक संवादी को आनंद, मनोरंजन, और ज्ञान की ऐसी यात्रा पर ले जाते हैं, जहां श्रोता बह निकलता है, आनंदित हो उठता है।
मुझे भीड़ या अथाह उत्साह देखने की आदत नहीं है। मेरे लिए समाज हित के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं न कि सनसनी फैलाना। इसीलिए विषय और वक्ताओं की गंभीरता का खास ध्यान रखा जाता है। देश भर में हर वर्ष सैकड़ों साहित्यिक कार्यक्रम होते हैं। फिर भी मेरा खास स्थान है। ये सिर्फ अपने कंटेंट, अपनी प्रस्तुति, अपनों के स्नेह और आपके प्यार के कारण है। पिछले सालों में आप लोगों का जो साथ मुझे मिला उसी के बल पर मैं अपने छठे संस्करण तक पहुंचा हूं। इसी विश्वास के भरोसे आगे भी कदम बढ़ाता रहूंगा, यूं ही चलता रहूंगा। मेरा सफलता से ज्यादा सार्थकता पर जोर रहता है। बावजूद इसके मैं आपका शुक्रगुजार हूं कि मेरे हिस्से दोनों ही आते हैं। मैं सार्थकता इसी में मानता हूं कि मैंने बीते सालों में कई उभरते वक्ता देखे हैं, तमाम विचार समेटे हैं। हर आम-ओ-खास इसका गवाह है।
अब हमारे मिलने को उल्टी गिनती शुरू हो गई है। साल भर बाद मिलने की घड़ी आ गई है। मैं आपका साथ पाने को बेकरार हूं। आपके आने का मुझे बेसब्री से इंतजार है। शहर में साहित्यिक आयोजनों की कमी नहीं है। लेखन से लेकर वादन, विभिन्न मंचों पर चर्चा और परिचर्चा देखने और सुनने के बाद यही आप यही कहेंगे, संवादी अनुभव साझा करने और समझ विकसित करने का सफल मंच है। मेरी शुरुआत जितनी शानदार होती है अंत उतना ही सफल। संवादी का हिस्सा बना हर व्यक्ति अपने आप में एक विचार है। यकीन मानिए कलाप्रेमियों के साथ-साथ यह आमजन के लिए भी त्योहार है।
मंच से जिज्ञासाओं को शांत किया जाता है तो दीर्घा में बैठकर सवाल करने की स्वतंत्रता भी तो मिलती है। हर अनुभव अद्भुत और अनूठा होता है। मैं सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, उत्सव हूं। तीन दिन तक चलने वाला सतरंगी उत्सव...। उत्सव साहित्य और संस्कृति का उस पर सफल संवाद का। किसी विषय को समझना हो या मुद्दे पर अपना विचार रखना हो... हर किसी को मौका और मंच देता हूं मैं।
मैं एक बार फिर आग्रह कर रहा हूं, ये आयोजन आपके शहर का है, आपके शहर में है, आप लोगों का है। संबंध नहीं है तो भी मेरे रंग में रंग जाइए क्योंकि ये मौका फिर एक साल बाद ही आएगा। अपने अनुभव को विचारों से समृद्ध कीजिए। परंपरा और मूल्यों के अलावा साहित्य में मिथक और यथार्थ के महीन अंतर को जानिए-समझिए। विभिन्न मुद्दों पर दिग्गज अपने अनुभव साझा करेंगे। तो आइए...तीन दिन सार्थक कीजिए...बुला रहा हूं मैं।