खबर का असर: लखनऊ में घर की दहलीज पर लगा ट्रांसफार्मर सालों बाद हटा, किराए के मकान में रहने को थे विवश
लखनऊ के एकता नगर कालोनी में घर के दरवाजे के सामने रखा ट्रांसफार्मर एसडीओ राम इकबाल की तत्परता से पांच साल बाद हटाया जा सका। वहीं नया प्लेटफार्म बनाकर ट्रांसफार्मर को रख दिया गया। अभियंता नहीं ले रहे थे रुचि एसडीओ के प्रयास से बना काम।
लखनऊ, जेएनएन। मेहनत से सालों तक कमाया और फिर लोन लेकर रायबरेली रोड स्थित एकता नगर कालोनी में छोटा सा सपने का आशियाना बनाया। घर का गृह प्रवेश हुआ और प्रदीप तिवारी को रहते हुए एक माह ही बीता, तभी बिजली विभाग ने घर की दहलीज पर ट्रांसफार्मर लगा दिया। प्रदीप व उसका परिवार बिजली कर्मियों के आगे अनुरोध करता रहा कि उसकी चौखट पर ट्रांसफार्मर न लगाए, लेकिन नहीं सुनी गई। पिछले पांच साल से प्रदीप अभियंताओं से मिलते रहे, लेकिन उपखंड अधिकारी बदलते गए, सुनवाई नहीं हुई।
मजबूर होकर प्रदीप किराए के मकान में रहने को विवश थे। वहीं, नए एसडीओ राम इकबाल व अवर अभियंता मनोज के पास भी शिकायत पहुंची। मौके पर उपखंड अधिकारी ने निरीक्षण किया। मामला सही मिला तो तीन दिन में दूसरा स्थान खोजकर ट्रांसफार्मर हटवा दिया। अब प्रदीप अपने घर में रह सकेंगे।
यह वही बिजली महकमा है, जिसका दंश प्रदीप सालों से झेल रहे थे। दो खंभों पर लगा सौ केवीए का ट्रांसफार्मर वर्ष 2019 में खराब हुआ तो काबिल अभियंताओं ने यहां उसी के बराबर लाकर ट्राली ट्रांसफार्मर लगा दिया। सालों यह भी खड़ा रहा। एक बार भी अभियंताओं ने यह नहीं सोचा कि किसी के घर के सामने अगर दो ट्रांसफर्मार रख दिए जाएंगे तो वह अपने दरवाजे से निकल पाएगा या नहीं। उल्टे प्रदीप को तत्कालीन अभियंता बेइज्जती करते रहे।
दैनिक जागरण ने छापा विभाग का कारनामा : घर की दहलीज पर ही लगा दिया ट्रांसफार्मर शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर को संज्ञान लेते हुए नवनियुक्त उपखंड अधिकारी राम इकबाल ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया। निरीक्षण में इकबाल को लगा कि यह वास्तव में गलत हुआ है। उसी दिन ट्रांसफार्मर रखने के लिए नया प्लेटफार्म बनवाया और उसके मजबूत होते ही दूसरे दिन ट्रांसफार्मर उस पर रखवा दिया।
अपने घर में अब सुकून से रह सकेंगे: सेना से सेवानिवृत्त प्रदीप कहते हैं कि काम करना अगर चाहे तो क्यों नहीं हो सकता। आज उसी बिजली महकमे में ट्रांसफार्मर हटा दिया, जो सालों से नहीं हट रहा था। जमीन न मिलने का बहाना बताया जा रहा था। आज तो आबादी पांच साल में बीस गुना और बढ़ गई, फिर भी जमीन एसडीओ को मिल गई। प्रदीप के पूरे परिवार ने एसडीओ व जेई को धन्यवाद भी कहा।