ALERT: कोरोना काल में साइबर जालसाजों ने बदला ट्रेंड, अब ऐसे ऐंठ रहे आपकी गाढ़ी कमाई

वैक्सीनेशन आक्सीजन और इंजेक्शन के नाम पर कर रहे ठगी। वाट्सएप फेसबुक और टेलीग्राम पर गिरोह का ग्रुप बनाकर लोगों से कर रहे ठगी। जालसाज अब कोरोना मरीज के स्वजन और जरूरतमंदों को अपना शिकार बना रहे हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:07 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 09:17 PM (IST)
ALERT: कोरोना काल में साइबर जालसाजों ने बदला ट्रेंड, अब ऐसे ऐंठ रहे आपकी गाढ़ी कमाई
एसीपी साइबर क्राइम सेल ने बताया क‍ि हमारी टीम लगातार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है।

लखनऊ, [सौरभ शुक्ला]। सावधान! कोरोना काल में साइबर जालसाजों ने ठगी करने का ट्रेंड बदल दिया है। जालसाज अब वैक्सीनेशन, आक्सीजन सिलि‍ंडर और रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलाने के नाम पर ठगी कर रहे हैं। जालसाजों ने वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम व अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपने ग्रुप बनाकर गिरोह के लोगों को जोड़ रखा है। साइबर क्राइम सेल लखनऊ ने ऐसे जालसाजों से बचाव के लिए अलर्ट भी जारी किया है।

वाट्सएप ग्रुप और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से दलालों की चेन बनाकर जालसाजी : वाट्सएप ग्रुप और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से सेल्स एजेंट (दलालों) की चेन बनाकर कालाबाजारी करने वाले व्यापारी पुत्र जय मखीजा को महानगर पुलिस ने बीती आठ मई को गिरफ्तार किया था। जय और इसके गिरोह के लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर अपने नंबर पोस्ट कर रखे थे। जब कोई जरूरतमंद उस नंबर पर फोन करके आवश्यक मेडिकल सामग्री की डिमांड करता था तो वह व्यक्ति दूसरे एजेंट का नंबर देता था। ग्राहक जब उस एजेंट से बात करता तो वह उसे थोड़ी जानकारी करके दूसरे का नंबर देता। इस तरह जरूरतमंद ग्राहक को करीब सात से आठ लोगों से बातचीत करनी पड़ती थी। उसके बाद उसे तय स्थान पर बुलाकर उपकरण देकर मनमाने रुपये लेते थे। पल्स आक्सीमीटर छह से सात सौ रुपये में आता है। उसे करीब चार हजार तक में बेचते थे।

आक्सीजन सिलि‍ंडर का वाल्व 1000-1200 रुपये में आता है। उसे छह हजार रुपये में बेचते थे। 40 हजार रुपये कीमत का आक्सीजन कंसंट्रेटर करीब सवा लाख रुपये तक बेचते थे। वहीं, हुसैनगंज पुलिस ने भी बीते दिनों एक व्यापारी पुत्र को इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जालसाजी करने के मामले में गिरफ्तार किया था। वह अस्पताल कर्मियों के माध्यम से लोगों को 40 हजार रुपये कीमत का आक्सीजन कंसंट्रेटर 40-45 हजार रुपये में किराए पर देता था। इसके लिए किराए के साथ ही 40 हजार रुपये और लोगों से जमा कराता था।

अस्पताल में बेड दिलवाने व वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन के नाम पर ऐंठ रहे रुपये : गोमतीनगर निवासी नीरज को मेदांता अस्पताल में बेड दिलाने के नाम पर उसके खाते से 15 हजार रुपये उड़ा दिए। नीरज के मुताबिक उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर मेदांता अस्पताल में बेड की जानकारी करनी थी। उस पर एक मोबाइल नंबर पड़ा था। फोन किया तो बेड रिजर्व कराने के नाम पर खाते की जानकारी ली और 15 हजार रुपये उड़ा दिए। वहीं, विभूतिखंड क्षेत्र में रहने वाले डा. विजय ने अपने स्वजन को वैक्सीन लगवाने के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर सर्च के दौरान क्षेत्र स्थित एक अस्पताल का नाम डाला तो एक मोबाइल नंबर सामने आया। फोन किया तो फोन रिसीव करने वाले व्यक्ति ने बताया कि वह अस्पताल का मैनेजर बोल रहा है। उसने बातों में उलझाकर रजिस्ट्रेशन के नाम पर तीन हजार रुपये फीस जमा कराई और बैंक खाते की जानकारी ले ली। इसके बाद खाते से एक लाख रुपये उड़ा दिए।

ऐसे करें बचाव

एसीपी साइबर क्राइम सेल विवेक रंजन राय ने बताया कि इन दिनों साइबर जालसाजों ने ठगी का ट्रेंड बदल दिया है। वह कोरोना मरीज के स्वजन और जरूरतमंदों को अपना शिकार बना रहे हैं। हमारी टीम लगातार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है और उनके बारे में जानकारी जुटा रही है। वहीं, जरूरतमंद लोगों को भी निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

वेबसाइट में एचटीटीपी लि‍ंक तीन ब्लू लाइन और ताले का साइन अवश्य जांच लें इंटरनेट पर अस्पताल या दवा कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से ही नंबर हासिल करें इंजेक्शन, आक्सीजन सिलिंडर या अस्पताल में बेड के नाम पर आनलाइन रुपये न जमा करें वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के लिए कोविन या आरोग्य सेतु एप का ही इस्तेमाल करें मोबाइल पर अनजान नंबर से भेजे गए ल‍िंक को खोलने से बचें 

पुलिस मदद के लिए यहां करें संपर्क upcop एप के जरिए ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। cybercrime.gov.in पर देश के किसी भी हिस्से से शिकायत की जा सकती है।

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