कोरोना में युवाओं की बदली दिनचर्या बना रही बीमार, सेट करें रूटीन अपनाएं ये हेल्थ टिप्स
कोरोना काल में बच्चों और युवाओं की दिनचर्या इसी तरह बदल गई। घर में कुछ लोग बीमार भी हो गए। अधिकांश की शारीरिक व मानसिक सेहत अब पहले जैसी नहीं रही। मोटापा से पीडि़त हो गए। बहुत से लोग गहरे मानसिक अवसाद से पीडि़त हैं।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना काल में स्कूल की छुट्टी है। कोचिंग बंद है। घर में ही रहना है तो क्या करेंगे जल्दी उठकर। देर से सोना, दिन में खाकर फिर सो जाना। कुछ अच्छा हो जाए तो पकौड़ी भी बन गई। कोरोना काल में बच्चों और युवाओं की दिनचर्या इसी तरह बदल गई। घर में कुछ लोग बीमार भी हो गए। अधिकांश की शारीरिक व मानसिक सेहत अब पहले जैसी नहीं रही। मोटापा से पीडि़त हो गए। बहुत से लोग गहरे मानसिक अवसाद से पीडि़त हैं। ऐसे में किंग जॉर्ज चिकित्सा विवि के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा.एसके कार कहते हैं कि महामारी के कारण शरीर में आए अनचाहे बदलाव जैसे वजन बढऩा, चिड़चिड़ापन, नींद कम या बहुत आने को स्वीकारने की जरूरत है। जब तक आप अपने अंदर आए अनचाहे बदलावों को नजरअंदाज करते रहेंगे, तब तक उनमें सुधार नहीं किया जा सकता। कुमार संजय की रिपोर्ट ...
आज से बनाएं योजना: अनचाहे बदलावों को सुधारने के लिए हमें एक नियत समयावधि के लिए योजना बनानी चाहिए। साथ ही यह भी याद रखने की जरूरत है कि आप जो सुधार करना चाहते हैं, उसकी समयावधि व्यावहारिक हो ताकि आप आसानी से उसे प्राप्त भी कर सकें। उदाहरण के लिए आप अपना दो किलो वजन एक महीने के अंदर घटाना चाहेंगे तो यह व्यावहारिक होगा, जबकि महीनेभर में पांच किलो वजन घटाना मुश्किल। ये आपकी स्थितियों के मुताबिक असंभव भी हो सकता है।
अच्छी नींद भी जरूरी: सुनिश्चित कीजिए कि आप जिस जगह सो रहे हैं, वह एक शांत और कम रोशनी वाला कमरा हो ताकि आपकी नींद में खलल न पड़े। सोने से पहले टहलना या फिर किताब पढऩे जैसी आदतों को दोबारा अपनाना शुरू करें। कमरे के अंदर ही या बालकनी में टहलना बेहतर होगा। साथ ही कैफीनयुक्त पेय का कम प्रयोग करें। मोबाइल फोन और कंप्यूटर से दूरी रखें।
दिनचर्या बनाएं
फैक्ट फिगर 10 फीसद लोग मानसिक परेशानी के शिकार रहे 42 फीसद वयस्कों का वजन 6-7 किलो तक अनचाहे रूप से बढ़ गया है। 66 फीसद लोगों ने अपनी नींद के पैटर्न में बदलाव दर्ज किया है एक साल में। 23 फीसद लोग तालाबंदी के कारण नशे का अत्याधिक प्रयोग करने लगे।