COVID-19 in UP: प्रदेश के निजी अस्पतालों में सीएमओ की पर्ची बिना भर्ती होंगे कोरोना मरीज

Corona Virus in Lucknow यूपी में अब कोरोना संक्रमित को किसी भी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के पत्र की जरूरत नहीं होगी। बेड खाली होने की स्थिति में निजी अस्पताल अब किसी भी कोविड संक्रमित को सीधे भर्ती कर सकेंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 08:24 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 08:43 AM (IST)
COVID-19 in UP: प्रदेश के निजी अस्पतालों में सीएमओ की पर्ची बिना भर्ती होंगे कोरोना मरीज
सरकारी अस्पतालों में भी तीस फीसद बेड पर रोगियों की सीधी भर्ती।

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना मरीजों को भर्ती करने के लिए सरकार ने इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर से बेड आवंटन और जिला प्रशासन या सीएमओ की पर्ची की बाध्यता को खत्म कर दिया है। संक्रमित मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए तय किया गया है कि निजी कोविड अस्पतालों में मरीजों को पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर सीधे भर्ती किया जा सकेगा। यह अस्पताल मात्र दस फीसद बेड श्रेणीवार आरक्षित रखेंगे, जिन पर कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के माध्यम से मरीजों को भर्ती कराया जाएगा।

गुरुवार को अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि भर्ती मरीजों का ब्योरा निजी अस्पतालों द्वारा तत्काल उत्तर प्रदेश सरकार के पोर्टल पर अपडेट करना होगा। मरीज निजी अस्पताल में अपनी सुविधा से जाने के लिए स्वतंत्र होंगे। यदि वह इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर से एंबुलेंस की मांग करेंगे तो संबंधित निजी अस्पताल में भर्ती करने के पत्र के आधार पर तुरंत एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए डेडिकेटेड व्हाट्सएप नंबर सार्वजनिक किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नियमित रूप से निजी अस्पतालों का निरीक्षण कर शासन द्वारा निर्धारित व्यवस्था की निगरानी करेंगे।

वहीं, राजकीय अस्पताल, सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए व्यवस्था अलग रहेगी। स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल, राजकीय और निजी मेडिकल कॉलेजों में कोविड मरीजों की भर्ती इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर के माध्यम से की जाएगी। इस प्रक्रिया के लिए 70 फीसद बेड आरक्षित रहेंगे, जबकि बाकी तीस फीसद बेड पर आकस्मिकता के आधार पर अस्पतालों में मरीज भर्ती किए जा सकेंगे। साथ ही कमांड सेंटर के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए एडमिशन स्लिप को संबंधित अस्पताल के लिए मानना बाध्यकारी होगा। इसका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई होगी। आदेश किया गया है कि कोविड कमांड सेंटर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा भी रोटेशन से एक अधिकारी को तैनात किया जाएगा, जो सभी मेडिकल कॉलेजों के साथ समन्वय करेंगे।

निश्शुल्क इलाज कमांड सेंटर से ही

जिन मरीजों द्वारा निश्शुल्क इलाज का अनुरोध किया जाएगा, उनकी अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया कमांड सेंटर से ही होगी। सेंटर के डाक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार अस्पताल आवंटित करेंगे। ऐसे मरीज सीधे कमांड सेंटर पर फोन भी कर सकेंगे, जिसके लिए नंबर सार्वजनिक किया जाएगा। निश्शुल्क इलाज के अनुरोध पत्र के लिए जिला प्रशासन कुछ स्थानों पर काउंटर भी बना सकता है।

मनमाना शुल्क नहीं ले सकेंगे निजी अस्पताल

शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि निजी अस्पताल सरकार द्वारा निर्धारित दर पर ही मरीजों से शुल्क वसूलेंगे। इसका उल्लंघन करने पर उप्र महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा निजी अस्पतालों की सूची, बेड की संख्या और निर्धारित दरें समाचार पत्रों में प्रकाशित कराएगा।

दिन में दो बार सार्वजनिक करनी होगी खाली बेड की संख्या

निजी और सरकारी अस्पतालों को सुबह आठ और शाम चार बजे खाली आइसोलेशन बेड, आक्सीजन बेड, आइसीयू और एचडीयू की संख्या अस्पताल के बाहर जनसामान्य के लिए लिखी जाएगी। इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर को भी सूचना देनी होगी। 

लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय भटनागर ने बताया अभी तक निजी चिकित्सालयों में कोरोना उपचाराधीन मरीजों को भर्ती होने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी की परमिशन चाहिए होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। निजी हॉस्पिटल संक्रमितों को भर्ती कर इलाज कर सकते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि निजी प्रयोगशालाएं कोरोना संक्रमित के साथ ही संभावित की जांच निरंतर जारी रखें और समय से रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। जिससे कि जांच और इलाज समय से हो सके।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 45 वर्ष से अधिक उम्र के जो भी लोग कोरोना का लगवाने के लिए आ रहे हैं। उनका टीकाकरण किया जा रहा है। लखनऊ के 45 वर्ष से अधिक की उम्र के सभी लोग स्वयं तथा अपने परिवार के लोगों को टीका अवश्य लगवाएं। 

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