रायबरेली में गंगा किनारे बालू में गाड़े जा रहे शव, संक्रमण फैलने के डर से ग्रामीण खौफजदा

कोरोना महामारी के दौर में मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। लालगंज क्षेत्र में अधिकांश शवों का अंतिम संस्कार गेंगासो गंगाघाट पर किया जाता है। नदी में पानी कम हुआ है इससे गंगा की धारा गेंगासो गंगाघाट से लगभग एक किलोमीटर दूर असनी घाट चली गई है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 03:06 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 07:06 AM (IST)
रायबरेली में गंगा किनारे बालू में गाड़े जा रहे शव, संक्रमण फैलने के डर से ग्रामीण खौफजदा
प्रशासन बता रहा भ्रामक खबर, जागरण की पड़ताल में बड़ी संख्या में शव गाड़े जाने की हुई पुष्टि।

रायबरेली, जेएनएन। गंगा नदी के तट पर स्थित गेंगासो श्मशानघाट पर शव जलाने के साथ ही बड़ी संख्या में शव गाड़े भी जा रहे हैं, जिससे इलाके में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। कारण कम गहराई में गाड़े जा रहे शव ज्यादातर हाल के दिनों के बताए जा रहे। हालांकि प्रशासन का कहना है कि यह खबर भ्रामक है, मौके पर एसडीएम को भेजकर जांच कराई गई है, जिसमें सत्यता नहीं पाई गई। हलांकि प्रशासन के दावे के बाद दैनिक जागरण की पड़ताल में स्पष्ट हुआ कि बड़ी संख्या में शव गाड़े गए हैं। मौत कैसे हुई, शव कब के हैं, इसकी जानकारी तो परीक्षण के बाद हो सकेगी।

कोरोना महामारी के दौर में मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। लालगंज क्षेत्र में अधिकांश शवों का अंतिम संस्कार गेंगासो गंगाघाट पर किया जाता है। वर्तमान समय में नदी में पानी कम हुआ है, जिसके चलते गंगा की धारा गेंगासो गंगाघाट से लगभग एक किलोमीटर दूर असनी घाट की तरफ चली गई है जो फतेहपुर जनपद में आता है। लगभग डेढ़ किलोमीटर चौड़ी गंगा की धारा वर्तमान में बमुश्किल तीस फीट चौड़ी ही बची होगी। इसके चलते शव लेकर जाने वालों को गंगा किनारे अंतिम संस्कार के लिए बालू में लगभग एक किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इतनी दूर तक लकड़ी लेकर जाने में समस्या से बचने के लिए वाहन पर लकड़ी लादकर गंगानदी के ऊपर बने पुल से लकडि़यां नीचे फेंकी जाती हैं।

गाड़े जा रहे शव..

वर्तमान में भले ही शवों की संख्या में कमी आई हो लेकिन अभी भी प्रतिदिन लगभग बीस से बाइस शव पहुंच रहे हैं जिनमें से तीन से चार शव जलाने के बजाय प्रतिदिन गाड़े भी जा रहे हैं। इसके चलते श्मशानघाट से लेकर गंगा की धारा तक बड़ी संख्या में बालू में शव गाड़े गए हैं। बताया गया है कि यहां पर लकड़ी 800 रुपये क्विंटल है। एक शव को जलाने में तीन से चार क्विंटल लकड़ी लगती है। इसके साथ ही अंतिम संस्कार में प्रयोग होने वाली सामग्री में लगभग दो हजार रुपये लगते हैं। श्मशान घाट पर जमादार व पंडा भी धनराशि लेते हैं। इस प्रकार अंतिम संस्कार में लगभग छह से सात हजार रुपये का खर्च आ जाता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर लोग शव को जलाने के बजाय गाड़ना बेहतर समझते हैं। इसमें केवल जमादार को ही गड्ढ़े की खुदवाई देनी पड़ती है। हालांकि गड्ढा ज्यादा गहरा नही खोदा जा रहा है। शव को गड्ढे में गाड़कर उसके ऊपर बालू का ढेर लगाकर कपड़े से ढका जा रहा है। तेज हवा चलने पर बालू व कपड़ा उड़ने के बाद शव खुलने की संभावना से कतई इंकार नही किया जा रहा है।

फैली पड़ी हैं पिंडियां... 

श्मशान घाट गेंगासो पर गंगा की धारा होने के समय अंतिम संस्कार के बाद शव के बचे अवशेष(पिंडी) को कपड़े में बालू के साथ गंगाजी में विसर्जित किया जाता है। गंगा की धारा दूसरी ओर चले जाने से पिंडियों की गठरियां अब बालू में फैली पड़ी हैं। इन्हीं पिंडियों व शवों के पास से अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले आने जाने को मजबूर हैं। कुत्ते भी यहां फैली गंदगी को गांव तक पहुंचा रहे हैं जिससे संक्रमण फैलने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता।

संक्रमितों के शव गाड़े जाने से नही किया जा सकता इंकार....

गेंगासो श्मशान घाट पर गाड़े जा रहे शवों में से कोविड पाजिटिव होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। गांवों में अभी भी लोग कोविड की जांच कराने से बच रहे हैं। बीमारी के चलते जिनकी घरों में मौत हो रही है इस बात से कतई इंकार नही किया जा सकता कि मरने वाला कोविड पाजिटिव नहीं था। इस प्रकार यदि गाड़े गए शवों में कोविड पाजिटिव के भी शव हैं तो संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

बोले जिम्मेदार...

शुक्रवार को सरेनी थाना प्रभारी अनिल सिंह श्मशान घाट पहुंचे और अंतिम संस्कार कराने में जुटे पंड़ा बबलू, पुत्ती, सूरज आदि से वार्ता कर जरूरी निर्देश दिए। अनिल सिंह ने कहा कि कोई भी शव रखा नही जाएगा। यदि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति शव लेकर आता है तो उसकी सूचना उन्हें दें वह यथासंभव मदद कर शव का अंतिम संस्कार कराएंगे। गाड़े जा रहे शवों के बाबत अनिल सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। अंतिम संस्कार कराने वालों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है तो उसके द्वारा लाए गए शव का अंतिम संस्कार वह स्वयं तथा समाजसेवियों से सहयोग लेकर कराएंगे। उधर एडीएम की ओर से प्रेसनोट जारी कर बताया गया है कि घाट पर शवों के बारे में जानकारी भ्रामक है। 

chat bot
आपका साथी