लखनऊ में बढ़ती आबादी को बेहतर बिजली मुहैया कराने में लेसा सुस्त, आम उपभोक्ता परेशान
लखनऊ नए बिजली घर बनाने की रफ्तार बेहद सुस्त पचास हजार बढ़ रहे उपभोक्ता। पीक आवर्स में 1900 मेगावाट तक हो रही है खपत। आधा दर्जन से अधिक उपकेंद्रों के निर्माण को गति नहीं मिल पा रही।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी में जिस हिसाब से आबादी और बिजली की डिमांड बढ़ती जा रही है, उसके अनुपात में नए बिजली घर नहीं बन रहे है। करीब आठ लाख उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली देने के लिए एक दर्जन नए बिजली घर बनाने की आवश्यकता है। बिजली घर बनना तो दूर उनके लिए जमीन तक नहीं मिल रही है। यह हाल तब है जब पचास हजार नए कनेक्शन हो रहे हैं। ऐसे में बिजली घरों का इंफ्रास्ट्रक्चर प्रभावित हो रहा है। उपभोक्ता को पीक आवर्स में बिजली संकट का सामना अलग से करना पड़ रहा है।
मुख्य अभियंता ट्रांस गोमती प्रदीप कक्कड़ कहते हैं कि तेजी से लखनऊ में कोलोनाइजर कालोनी विकसित कर रहे हैं। हर दिन छोटे बड़े लोड सेक्शन होने के लिए फाइलें आती है। ऐसे में नए बिजली घर वर्तमान की सबसे ज्यादा जरूरत है। वहीं सिविल से जुड़े अभियंताओं की ढिलाई के कारण बिजनौर, राजाजीपुरम, अमराई गांव, अमीनाबाद, पॉलीटेक्निक सहित आधा दर्जन से अधिक उपकेंद्रों के निर्माण को गति नहीं मिल पा रही है। इसी तरह गोमती नगर में नए बिजली घरों के लिए एलडीए से सवा साल से जमीन के लिए सिर्फ पत्राचार ही चल रहा है।
हर साल बढ़ता है 150 एमवीए का लोड
यूपी पॉवर ट्रांसमिशन हर साल करीब 150 एमवीए का विद्युत लोड़ बढ़ाता है। लेसा द्वारा कुछ बिजली घरों का निर्माण किया गया है। इसके बावजूद ट्रांसमिशन लाइन और उपकेंद्र शहर और गांवों में हो रही बिजली खपत का लोड नहीं संभाल नहीं पा रही है।
नई कालोनियों व फ्लैट का हो रहा विस्तार
रायबरेली रोड, सीतापुर रोड, बाराबंकी रोड, कुर्सी रोड की तरफ तेजी से अवैध कालोनियां बनने के साथ ही निजी कोलोनाइजर फ्लैटों का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा जानकीपुरम विस्तार, गोमती नगर विस्तार, चिनहट, अर्जुनगंज, शहीद पथ व एयरपोर्ट के आसपास कालोनी तेजी से बन रही हैं।
क्या कहते हैं ट्रांस गोमती मुख्य अभियंता ?
ट्रांस गोमती मुख्य अभियंता प्रदीप कक्कड़ के मुताबिक, हर साल पचास हजार उपभोक्ता बिजली कनेक्शन के लिए अलग अलग उपकेंद्रों में आवेदन करते हैं। बिजली की कोई दिक्कत नहीं है लेकिन नए बिजली घर की आवश्यकता है, जो बनाए जा रहे हैं।