हिमाचल प्रदेश से आती थी नकली दवाओं की खेप, लखनऊ और कानपुर में बना रखे थे गोदाम
दवा सप्लाई करने वाले गिरोह का सरगना मनीष और अन्य सदस्य यहां से दवा बनवाकर उसे लखनऊ और कानपुर के गोदाम में स्टोर करते थे। इसके बाद यहां से नकली दवाइयों की सप्लाई अन्य जनपदों में करते थे।
लखनऊ, जेएनएन। नकली दवाओं का कारोबार करने वालों के तार हिमांचल प्रदेश से जुड़े हैं। मरीजों की जान को जोखिम में डालने वाली इन नकली दवाओं का निर्माण हिमांचल प्रदेश में होता था। दवा सप्लाई करने वाले गिरोह का सरगना मनीष और अन्य सदस्य यहां से दवा बनवाकर उसे लखनऊ और कानपुर के गोदाम में स्टोर करते थे। इसके बाद यहां से नकली दवाइयों की सप्लाई अन्य जनपदों में करते थे। यह राजफाश माडल हाउस से गिरफ्तार किए गए गिरोह के सदस्य सचिन यादव ने किया। मालूम को कि कानपुर और लखनऊ पुलिस के संयुक्त अभियान में मंगलवार को माडल हाउस स्थित गोदाम से ढाई करोड़ की नकली दवा के साथ एक आरोपित को गिरफ्तार किया गया था।
कानपुर में होती थी सबसे अधिक खपत
कानपुर गोविंदनगर एसीपी विकास पांडेय ने बताया कि सचिन से पूछताछ में गिरोह के संबंध में जानकारी मिली है। मामले की विवेचना कर रहे कानपुर रतनलालनगर के चौकी प्रभारी अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि लखनऊ से गिरफ्तार सचिन यादव दवाइयों की सप्लाई का काम देखता था। लखनऊ पुलिस भी यह पता लगा रही है कि गिरोह के लोग लखनऊ में कहां-कहां नकली दवाओं की सप्लाई करते थे। पांच माह पहले माडल हाउस में गोदाम बनाया गया था।
प्रिंटिंग प्रेस पर भी पुलिस की निगाह
अमीनाबाद इंस्पेक्टर आलोक कुमार राय ने बताया कि गिरोह के लोग जिफी और नाइट्रावेट टेबलेट और एंटीबायोटिक के नकली इंजेक्शन की हूबहू पैकिंग ब्रांडेड कंपनियों की तरह करते थे। इससे लोगों को जरा सा भी शक नहीं होता था और वह यह दवाइयां ले लेते थे। कई कंपनियों के एमआर भी पुलिस की रडार पर हैं। इसके अलावा लखनऊ में दवा व्यवसाय से जुड़े ऐसे लोग जो इस गिरोह से संपर्क में थे उनकी पड़ताल की जा रही है। इसके अलावा प्रिंटिंग प्रेस के बारे में भी पुलिस पड़ताल कर रही है।