अयोध्या की पुकार: मंदिर-मस्जिद की लड़ाई के साथ गले मिलने का हौसला Ayodhya News

अयोध्या में बाबरी मस्जिद फैसले की आहट के बीच तनाव-तकरार को फिजूल मानकर सौहार्द का संदेश दे रहे जिम्मेदार लोग।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 07:21 PM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 08:14 AM (IST)
अयोध्या की पुकार: मंदिर-मस्जिद की लड़ाई के साथ गले मिलने का हौसला Ayodhya News
अयोध्या की पुकार: मंदिर-मस्जिद की लड़ाई के साथ गले मिलने का हौसला Ayodhya News

अयोध्या, जेएनएन। मंदिर-मस्जिद विवाद के फैसले की आहट के बीच संबंधित पक्षकारों में गले मिलने का हौसला भी बयां हो रहा है। बुधवार को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई समाप्त होने के अगले दिन ही रामलला के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के रामघाट स्थित आश्रम सत्यधाम पहुंचकर बाबरी मस्जिद के पक्षकार मो. इकबाल अंसारी ने भाईचारा का संदेश दिया। 

...तो मंदिर के लिए अभियान चलाकर पहले से ही भाईचारा की अलख जगाने वाले बब्लू खान ने मंगलवार को वशिष्ठभवन के महंत डॉ. राघवेशदास से भेंट की और मंदिर के लिए उनके पूजन-अनुष्ठान को सराहनीय बताया। राघवेशदास ने भी कहा, मामला अदालत के पाले में है और हमारे जिम्मे शांति-सौहार्द बनाए रखना है। मंदिर की पक्षकार संस्था निर्माही अखाड़ा के महंत दिनेंद्रदास भी स्पष्ट करते हैं कि हमारी लड़ाई अदालत में रही है और हम वहीं से समाधान चाहते हैं। उनकी मानें तो वे कोई और लोग थे, जिन्होंने मंदिर-मस्जिद की दावेदारी के साथ माहौल खराब किया।

निर्माही अखाड़ा के ही पूर्व पंच एवं नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास कहते हैं, राममंदिर के लिए अदालत में जितना जोर लगाना था, लगा लिया और अब जोर राष्ट्रमंदिर बचाने के लिए लगाना होगा। समाजसेवी विकास श्रीवास्तव कहते हैं, मुस्लिम हमारे बीच के हैं और उनसे उसी तरह के रिश्ते हैं जैसे ङ्क्षहदुओं के। इस रिश्ते को बचाकर रखना होगा। व्यापारी नेता करुणानिधान चौरसिया कहते हैं, बाजार अथवा कारोबारी सिलसिले की अपनी शर्त होती है और उसमें कभी पहले और न अब सांप्रदायिक भेद आड़े आने वाला है। 

मित्र मंच के प्रमुख शरद पाठक बाबा कहते हैं, कोर्ट को जो निर्णय देना होगा, वह देगी पर हम एक थे, एक हैं और एक रहेंगे। प्रख्यात कथाव्यास पं. राधेश्याम शास्त्री कहते हैं, हम रहीम-रसखान के अनुयायी हैं और एपीजे अब्दुल कलाम को महान ऋषि मानकर उन्हें राष्टपति के रूप में शिरोधार्य करने वाले हैं, हम पर किसी को शक नहीं होना चाहिए। युवा भाजपा नेता आकाशमणि त्रिपाठी कहते हैं, मंदिर-मस्जिद विवाद का समाधान करने के लिए जो प्रयत्न किया जाना चाहिए था, वह हो चुका है और इसके बाद तनाव पैदा करने वालीबयानबाजी से दूर रहकर ही हम देश की बेहतर सेवा कर सकते हैं।

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