सीएम योगी आदित्यनाथ ने खाई डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की 'मिठाई', टूटी 'सियासी खिचड़ी' की हांडी

UP Politics उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बेटे की शादी हाल ही में रायबरेली में हुई। कोविड प्रोटोकाल की वजह से अतिथि नहीं शामिल हो सके थे। मंगलवार को मुख्यमंत्री दोपहर में उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा के साथ केशव मौर्य के घर नवदंपती को आशीर्वाद देने पहुंच गए।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 01:04 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 01:05 PM (IST)
सीएम योगी आदित्यनाथ ने खाई डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की 'मिठाई', टूटी 'सियासी खिचड़ी' की हांडी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के घर नवदंपती को आशीर्वाद देने पहुंचे।

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। तनातनी कभी हुई नहीं और न ही पाले खिंचे नजर आए। देखी किसी ने आग भी नहीं, लेकिन सियासी गलियारों में काफी समय से उठ रहे चर्चाओं के धुएं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भांप गया कि शायद कहीं 'खिचड़ी' पक रही है या पकाई जा रही है। धुएं पर पक रही 'खिचड़ी' कसैली होती, उससे पहले ही संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने अभिभावक के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मुंह में 'मिठाई' रख दी है।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बेटे की शादी हाल ही में रायबरेली में हुई। कोविड प्रोटोकाल की वजह से अतिथि नहीं शामिल हो सके थे। मंगलवार को मुख्यमंत्री दोपहर में उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा के साथ केशव मौर्य के घर नवदंपती को आशीर्वाद देने पहुंच गए। प्रत्यक्ष रूप से यह सामान्य शिष्टाचार है, लेकिन सीएम योगी का पहली बार केशव मौर्य के घर जाना। फिर वहां होसबले, डा. कृष्ण गोपाल और क्षेत्र प्रचारक अनिल जी की मौजूदगी इस मुलाकात को सामान्य से 'खास' बना देती है। यहां दोपहर के भोज और मिठाई के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

दरअसल, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन और प्रदेश प्रभारी के लखनऊ प्रवास और विधानसभा चुनाव के लिए बन रही रणनीति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है, लेकिन इसी दौरान होसबले और डा.कृष्ण गोपाल का लखनऊ प्रवास कुछ इशारा करता है कि यह दिग्गज रणनीतिक मार्गदर्शन के लिए आए हैं। चर्चा यह भी है कि सोमवार को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक में भी डा. कृष्ण गोपाल मौजूद रहे।

इधर, पार्टी का एक बड़ा धड़ा बयान देता है कि विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, जबकि हाल ही में केशव प्रसाद मौर्य और श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान आया कि किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, यह संसदीय बोर्ड तय करेगा। पार्टी की नीति-नियमों के लिहाज से इन दोनों की बात ठीक है, लेकिन यहां से नई चर्चाओं ने जन्म लिया।

हाईकमान भी सबको साथ लेकर चलने का संदेश लगातार दे रहा है। शायद रणनीतिकारों को लगा होगा कि वरिष्ठ नेताओं के 'सुर' अलग-अलग होंगे तो 'ताल' पूरे संगठन की बिगड़ सकती है। माना जा रहा है कि भगवा कुनबे में एकता का संदेश देने के लिए ही केशव प्रसाद मौर्य के घर पर संघ ने अपनी मेजबानी में योगी की मेहमाननवाजी कराई है।

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