मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताई कड़ी नाराजगी, PAC जवानों को पदावनत करने की होगी जांच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने पीएसी के कुछ डिमोशन किए गए जवानों को तुरंत प्रमोशन देने का फैसला किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रमोशन देने में अड़ंगा लगाने वाले एडीजी के खिलाफ जांच का आदेश भी दे दिए है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 12:40 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 12:50 PM (IST)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताई कड़ी नाराजगी, PAC जवानों को पदावनत करने की होगी जांच
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया है

लखनऊ, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को डिमोट होने वाले पीएसी के हेड कांस्टबेल तथा सब इंस्पेक्टर (एसआइ) के मामले में बड़ा फैसला लिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी को पीएसी के हेड कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर को तुरंत प्रमोशन देने का निर्देश जारी किया है।

पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली के एक और मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी नाराजगी जताई है। पीएसी जवानों  को पदानवत कर सिविल पुलिस से वापस भेजे जाने का फैसला शासन की अनुमति के बिना लिया गया था। मुख्यमंत्री ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी को ऐसा निर्णय लेने वाले अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करने को कहा है। डीजीपी जल्द प्रकरण की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे। मुख्यमंत्री ने डीजीपी को पदानवत किए गए जवानों को नियमानुसार जल्द पीएसी में पदोन्नति दिए जाने का निर्देश भी दिया है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसी कार्रवाई से पुलिस बल के मनोबल पर प्रभाव पड़ता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों डिमोट कर सिविल पुलिस में भेजे गए पीएसी के करीब 900 जवानों को तत्काल पदोन्नति दिए जाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को लेकर नाराजगी भी जताई है। मामला बिना शासन के संज्ञान में लाये ऐसा आदेश देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध जांच के भी निर्देश। मामले में एडीजी स्थापना पीयूष आनंद व अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

सिविल पुलिस से पीएसी जवानों को उनके मूल संवर्ग में वापस भेजने का आदेश एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द ने नौ सितंबर को जारी किया था। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में अपनी ओर से तो भूल सुधार कर लिया था, लेकिन शासन की अनुमति के बिना यह कदम उठाने का फैसला अब उन पर भारी पड़ गया है। हालांकि एडीजी स्थापना ने जवानों को पदानवत किए जाने का आदेश जारी करने के बाद एडीजी पीएसी को एक पत्र लिखकर पदानवत जवानों को वरिष्ठता के आधार पर पीएसी में पदोन्नति दिए जाने की सिफारिश की थी।

यह था पूरा मामला 

पीएसी के जवानों को बीते दो दशकों में ड्यूटी के लिए थानों पर भेजा गया था। इनमें सैकड़ों पीएसी जवान थानों पर ही टिक गए थे और लंबे समय तक वहीं ड्यूटी करते रहे। इसी दौरान उन्हें पदोन्नति भी हासिल हो गई थी। पीएसी के जवान जितेंद्र कुमार ने सिविल पुलिस में उसकी पदोन्नति न होने पर वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें सिविल पुलिस में पदोन्नति पाए कई पीएसी जवानों का उल्लेख किया गया था। हाईकोर्ट ने इस पर पुलिस मुख्यालय को छह सप्ताह में निर्णय आदेश दिया था।

तब मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को इस गड़बड़ी की भनक लगी। चार सदस्यीय समिति बनाकर प्रकरण की जांच कराई गई थी तो सूबे में 932 ऐसे पीएसी कर्मी सामने आए थे, जो सिविल पुलिस में सेवाएं दे रहे थे। इनमें छह जवान सिविल पुलिस में उपनिरीक्षक तथा 890 जवान हेड कांस्टेबिल के पदों पर पदोन्नति पा चुके थे। 22 जवान सिपाही के ही पद पर थे, जबकि 14 जवान अपना सेवाकाल पूरा कर चुके थे। एडीजी स्थापना ने छह उपनिरीक्षकों व 890 मुख्य आरक्षियों को पदानवत करते हुए तथा 22 जवानों को इसी पद पर उनके मूल संवर्ग पीएसी में भेजने का आदेश दिया था। 

पूरे प्रकरण की जांच होगी : डीजीपी

पीएसी जवानों के मामले में सबसे बड़ा सवाल उन तत्कालीन अधिकारियों व कर्मियों का है, जिन्होंने नियमों को ताख पर रखकर जवानों को पदोन्नति दी। नियम कहता है कि एक संवर्ग के कर्मी को दूसरे संवर्ग में पदोन्नति नहीं दी जा सकती। यानी पीएसी जवानों को सिविल पुलिस संवर्ग में पदोन्नत करने का कोई आधार ही नहीं है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि पूरे प्रकरण की बिंदुवार जांच कराई जाएगी। परीक्षण कराया जाएगा कि किस स्तर पर किन नियमों का उल्लंघन हुआ है। जो भी अधिकारी व कर्मी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कठोर कार्रवाई होगी।

प्रोन्नति मांगने पर आई यह नौबत

डीजीपी मुख्यालय की तरफ से जारी आदेश में बताया गया था कि कांस्टेबल जितेन्द्र कुमार सिंह एवं तीन अन्य ने अपनी प्रोन्नति के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने विभाग को याचिका कर्ताओं के प्रत्यावेदन पर छह हफ्ते में निर्णय लेने का आदेश दिया था। चारों याचिकाकर्ता पीएसी संवर्ग में भर्ती हुए थे और परिचालनिक कारणों से जनपदीय पुलिस में स्थानान्तरित हुए थे। उनका काडर परिर्वतन नहीं हुआ था। प्रत्यावेदन पर विचार कर संस्तुति देने के लिए विभाग ने एक चार सदस्यीय कमेटी बनाई।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुल 932 कांस्टेबल पीएसी में भर्ती हुए थे। कमेटी ने इनमें से 910 को पदावनत कर कांस्टेबल के पद पर पीएसी काडर में वापस करने और 22 कांस्टेबल को उसी पद पर पीएसी काडर में वापस करने की सिफारिश की। इन 910 में से 6 वर्तमान में पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत हैं। शेष 904 कर्मचारियों में से 14 या तो रिटायर हो गए हैं या उनका निधन हो गया है, जबकि 890 पुलिस कर्मी हेड कांस्टेबल पद पर कार्यरत हैं। पुलिस मुख्यालय का कहना है पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती के दो मूल कैडर हैं, नागरिक पुलिस व पीएसी। यह सभी अपने मूल काडर में ही प्रोन्नति पाते हैं। पीएसी से पुलिस में स्थानान्तरण के लिए जारी आदेश में काडर परिर्वतन का कोई उल्लेख नहीं किया गया था और नही नियमावली या शासनादेश में इसका कोई प्रावधान ही है। 

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