सीएम योगी आदित्यनाथ की घोषणा, यूपी में मार्च 2022 तक और लगाएंगे एक हजार मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में जब 2017 में सरकार बनी थी तो उस समय 250 मेगावाट सौर ऊर्जा की ही क्षमता थी। आज करीब दो हजार मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से बनाई जा रही है। मार्च में यह बढ़कर तीन हजार मेगावाट हो जाएगी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 10:06 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 10:10 PM (IST)
सीएम योगी आदित्यनाथ की घोषणा, यूपी में मार्च 2022 तक और लगाएंगे एक हजार मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार मार्च 2022 तक एक हजार मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र और लगाएगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार मार्च 2022 तक एक हजार मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र और लगाएगी। कार्बन उत्सर्जन घटाने की लिए जरूरी है कि हम अधिक से अधिक सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाएं। सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में जब 2017 में सरकार बनी थी तो उस समय 250 मेगावाट सौर ऊर्जा की ही क्षमता थी। आज करीब दो हजार मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से बनाई जा रही है। मार्च में यह बढ़कर तीन हजार मेगावाट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने पांच साल में 100 करोड़ पौधारोपण किया है। आज हम एक वर्ष में ही 100 करोड़ पौधे लगाने की क्षमता रखते हैं। इसके लिए 100 करोड़ पौधों की नर्सरी भी तैयार कर ली गई है।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के उद्घाटन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। पर्यावरण संरक्षण का पाठ तो भारतीय संस्कृति के मूल में है। सनातन धर्म में तो पूजा-पाठ के दौरान या शांति पाठ में प्रकृति के संरक्षण का संकल्प दिलाया जाता है। हमें प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितनी आवश्यकता हो। यदि प्रकृति का संतुलन बिगड़ेगा तो संपूर्ण सृष्टि के लिए खतरनाक होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए एनजीटी के आदेशों को राज्य में कड़ाई से लागू कराएं। वर्ष 2017 से पहले प्रदेश के कई जिले डार्क जोन में चले गए। ऐसे में पालीथिन पर पाबंदी, तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर भूजल रिचार्ज को बढ़ावा दिया। कानपुर में पहले गंदा नाला सीधे गंगा नदी में मिलता था आज वह बंद हो गया है। उसे सेल्फी प्वाइंट बना दिया गया है। अब कानपुर में गंगा स्वच्छ व निर्मल हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि साढ़े सोलह लाख स्ट्रीट लाइट एलईडी में तब्दील हो चुकी हैं। चार करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए। इससे बिजली बचत के साथ ही कार्बन उत्सर्जन में भी काफी कमी आई है। उज्ज्वला योजना भी पर्यावरण की दिशा में बड़ा कदम है। स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन से इंसेफ्लाइटिस जैसी बीमारी पर नियंत्रित पाया गया। पर्यावरण संरक्षण केवल एनजीटी एवं वन एवं पर्यावरण विभाग का जिम्मा नहीं है, अंतरविभागीय समन्वय से इसके अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।

इससे पहले वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने दो दिवसीय सम्मेलन की रूपरेखा रखते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए हो रहे प्रयासों में उत्तर प्रदेश सबसे आगे खड़ा होगा। केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन के राज्य मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन देश व दुनिया के लिए चिंता का विषय है। भारत हमेशा से प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहा है। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी एवं नदियों की पूजा होती है। अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह ने सम्मेलन के विषय वस्तु के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर विधायी एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक, राज्यमंत्री वन अनिल शर्मा, मुख्य सचिव आरके तिवारी, सचिव वन आशीष तिवारी शामिल थे।

जन आंदोलन से हल होगी जलवायु परिवर्तन की समस्या : एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि जन आंदोलन के जरिये ही जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश नहीं लगेगा तब तक स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है। उन्होंने एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि पिछले 50 वर्ष में जनसंख्या वृद्धि तीन गुना से अधिक हुई है, जबकि खेती योग्य भूमि 20 फीसद ही बढ़ी है। जनसंख्या वृद्धि के अनुसार भूमि में वृद्धि न होने का असर प्राकृतिक संसाधन पर पड़ता है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कारगर कदम उठाने होंगे। गरीबी, प्रदूषण व बढ़ती जनसंख्या तीनों ही समस्याओं के हल के लिए काम करना होगा। बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आवश्यकता होती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन होता है। इसे न रोका गया तो बहुत बड़ी जनहानि होगी।

सीएम ने की तीन इको टूरिज्म सर्किट की शुरुआत : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर तीन नए इको टूरिज्म सर्किट की शुरुआत की। इसमें आगरा-चंबल, वाराणसी-चंद्रकांता व गोरखपुर-सोहागीबरवा इको टूरिज्म सर्किट हैं। मुख्यमंत्री ने इन्हें झंडी दिखाकर रवाना किया। तीनों ही स्थानों पर पर्यटकों की टीम वर्चुअल जुड़ी थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विरासत वृक्षों की 400 पेज की काफी टेबिल बुक का विमोचन किया। उन्होंने वृक्षारोपण जन आंदोलन 2021 नाम से एक और काफी टेबिल बुक का विमोचन किया। योगी ने कार्बन न्यूट्रल पर्सन एप भी लांच किया। यह एप बताएगा कि आप कितना कार्बन उत्सर्जन करते हैं और उसे अवशोषित करने के लिए कितने पौधे लगाने होंगे।

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