लखनऊ के अस्पतालों में बंद जनऔषधि केंद्र फ‍िर से खुलेंगे, म‍िलेंगी सस्ती दवाएं

राजधानी में 72 जनऔषधि केंद्र खोले गए थे। इनमें से12 सरकारी अस्पतालों में खुले थे। सरकारी अस्पतालों में औषधि केंद्रों के संचालन के लिए सरकार ने निजी वेंडर से करार किया था। मगर दवा उपलब्धता की समस्या समेत कई शिकायतों को लेकर वेंडर से करार निरस्त कर दिया गया।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 29 Dec 2020 09:28 AM (IST) Updated:Tue, 29 Dec 2020 01:01 PM (IST)
लखनऊ के अस्पतालों में बंद जनऔषधि केंद्र फ‍िर से खुलेंगे, म‍िलेंगी सस्ती दवाएं
बीपीपीआइ पहले राजधानी के चार अस्पतालों के औषधि केंद्रों का करेेगी संचालन।

लखनऊ, जेएनएन। काफी दिनों से सरकारी अस्पतालों के जनऔषधि केंद्र बंद हैं। ऐसे में मरीजों को सस्ती दवा नहीं मिल पा रही है। मगर, नए वर्ष से व्यवस्था में सुधार होगा। मकर संक्रांति से बंद जनऔषधि केंद्र खुलने के आसार हैं। इनका संचालन अब निजी वेंडर के बजाए केंद्र सरकार करेगी।

राजधानी में 72 जनऔषधि केंद्र खोले गए थे। इनमें से12 सरकारी अस्पतालों में खुले थे। सरकारी अस्पतालों में औषधि केंद्रों के संचालन के लिए सरकार ने निजी वेंडर से करार किया था। मगर, दवा उपलब्धता की समस्या समेत कई शिकायतों को लेकर वेंडर से करार निरस्त कर दिया गया। ऐसे में सरकारी अस्पतालों के जनऔषधि केंद्रों में दवा बिक्री पर निजी वेंडर के रोक लगा दी गई। मरीजों को सस्ती दवा मुहैया कराने वाले केंद्रों परताला लटका है। सरकारी अस्पतालों के केंद्रों पर दवा आपूर्ति करने वाले केंद्र सरकार के उपक्रम ब्यूराे ऑफ फार्मास्युटिकल ऑफ इंडिया ( बीपीपीआइ) ने खुद संचालन का फैसला किया है। बीपीपीआइ के मार्केटिंग हेड जीएम धीरज शर्मा टीम समेत शहर का दिसंबर में दौरा कर चुके हैं। ऐसे में पहले राजधानी के चार अस्पतालों में जनऔषधि केंद्र शुरू करने की योजना है। इसमें केजीएमयू, लोहिया अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल व सिविल अस्पताल शामिल हैं। इसके बाद चरणवार अन्य अस्पतालों में सेवाएं बहाल होंगी।

इन सरकारी अस्पतालों के केंद्रों पर पड़े ताले

केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, ठाकुरगंज संयुक्त अस्पताल, आरएलबी अस्पताल, लोकबंधु राजनारायण अस्पताल, बीआरडी अस्पताल, आरएसएम अस्पताल के जनऔषधि केंद्रों पर ताला लगा है। वहीं मोहनलाल गंज व गोसाईगंज सीएचसी का भी जनऔषधि केंद्र बंद है। वहीं 60 निजी औषधि केंद्रों संचालित हैं। राजधानी के सरकारी व निजी केंद्रों पर हर माह 90 लाख के करीब दवा बिक्री होती थी। इन स्टोरों पर 50 से 90 फीसद तक बाजार दर से सस्ती दावा है।

दवा समेत 1400 उत्पादों का दावा

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना वर्ष 2015 में शुरू हुई थी। इस दौरान आठ सौ दवा व अन्य उत्पाद मुहैया कराने का दावा किया गया था। इसमें 650 दवाएं व 150 सर्जिकल सामान शामिल किया गया। वहीं वर्ष 2020 से पेटेंट से बाहर आईं नई दवाएं शामिल की गईं। इसमें एक हजार दवाएं व चार सौ सर्जिकल व अन्य समान लिस्ट में शामिल किया गया। ऐसे मेें मरीजों को काफी राहत मिलेगी। 

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