जिरेनियम के लिए चीन पर खत्म होगी भारत की निर्भरता, CIMAP Lucknow ने रखा पांच साल का लक्ष्‍य

सीमैप के वैज्ञानिकों ने रखा अगले पांच साल में देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य। अभी यह सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रों की ही खेती मानी जा रही थी लेकिन वैज्ञानिकों की मेहनत से मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी खेती संभव हो गई है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 08:45 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 02:15 AM (IST)
जिरेनियम के लिए चीन पर खत्म होगी भारत की निर्भरता, CIMAP Lucknow ने रखा पांच साल का लक्ष्‍य
अभी 150 टन जिरेनियम का आयात करता है देश।

लखनऊ, [धर्मेंद्र मिश्रा]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार करने के लिए अब केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआइआर-सीमैप) ने ठान ली है। भारत अभी तक जिरेनियम के लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर है। लेकिन, अब यह निर्भरता खत्म होगी। वर्तमान में प्रतिवर्ष 150 टन तक जिरेनियम तेल का आयात किया जाता है। देश की मौजूदा जिरेनियम उत्पादन क्षमता सिर्फ 15 से 20 टन ही है। सीमैप के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि हि‍ंंदुस्तान में अभी सबसे ज्यादा जिरेनियम ऊटी और उत्तराखंड के अन्य इलाकों में होता है। अभी यह सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रों की ही खेती मानी जा रही थी, लेकिन वैज्ञानिकों की मेहनत से मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी खेती संभव हो गई है।

अभी 130 हेक्टेयर में खेती

सीमैप के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौदान सिंह ने बताया कि अभी पूरे देश में 100 से 130 हेक्टेयर में जिरेनियम की खेती की जा रही है। इसकी खेती नवंबर से फरवरी तक प्रथम पखवाड़े में होती है। एक हेक्टेयर में करीब 25 किलो जिरेनियम पैदा होता है। एक किलो जिरेनियम की कीमत करीब 10 हजार रुपये है।

यूपी में यहां होती है खेती

सीमैप के अनुसार यूपी के बदायूं, कासगंज, बरेली, सीतापुर, बाराबंकी आदि जनपदों में करीब 30 हेक्टेयर में जिरेनियम की खेती की जाने लगी है। इससे करीब 750 किलो जिरेनियम पैदा होता है। अगले तीन वर्षों में देशभर में जिरेनियम की खेती का रकबा 570 हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से अकेले यूपी में 200 हेक्टेयर तक में जिरेनियम उत्पादन किया जाएगा, ताकि पांच वर्षों में देश की निर्भरता चीन व अन्य देशों से खत्म हो सके।

मेले में किसानों को किया जाएगा प्रेरित

15 जनवरी से पांच फरवरी तक सीमैप परिसर, लखनऊ में चलने वाले किसान मेले में कृषकों को जिरेनियम की खेती की तकनीक व फायदे बताकर उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जाएगा। अभी चीन व इजिप्ट से भारत प्रतिवर्ष 150 करोड़ रुपये तक का जिरेनियम आयात करता है। सबसे ज्यादा जिरेनियम चीन से ही आता है।

साबुन और सौंदर्य प्रसाधन में इस्तेमाल

जिरेनियम तेल का उपयोग साबुन बनाने, सभी प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन तैयार करने, इत्र व सुगंधित तेल इत्यादि में किया जाता है। इसकी खुशबू गुलाब की तरह होती है।

'सीमैप का लक्ष्य जिरेनियम के उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि इसके लिए चीन पर हमारी निर्भरता पूरी तरह खत्म हो सके। किसान मेले में इसकी तकनीक से उन्हें परिचित कराया जाएगा। साथ ही कृषकों को ज्यादा हेक्टेयर में इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।'    -डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान

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