Covid 19 Third Wave Alert: केजीएमयू ने तैयार किया पीडियाट्रिक ट्रॉमा इमरजेंसी, विशेषज्ञ की निगरानी में होंगे बच्चे

केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में आने वाले गंभीर मरीजों में एक तिहाई संख्या बच्चों की होती है। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के मामले में अधिक जानलेवा बताई जा रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए एडल्ट एंड पीडियाट्रिक ट्रॉमा इमरजेंसी सर्विसेज प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 10:09 AM (IST) Updated:Sat, 26 Jun 2021 01:15 PM (IST)
Covid 19 Third Wave Alert: केजीएमयू ने तैयार किया पीडियाट्रिक ट्रॉमा इमरजेंसी, विशेषज्ञ की निगरानी में होंगे बच्चे
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में आने वाले गंभीर मरीजों में एक तिहाई संख्या बच्चों की होती है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में आने वाले गंभीर मरीजों में एक तिहाई संख्या बच्चों की होती है। दुर्घटना के बाद सही प्राथमिक उपचार न मिलना, अस्पताल पहुंचने में देरी और विशेषज्ञ की सीधी निगरानी में नहीं रह पाने के कारण स्थिति घातक हो जाती है। बच्चों के मामले में यह और भी अधिक जानलेवा हो जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए एडल्ट एंड पीडियाट्रिक ट्रॉमा इमरजेंसी सर्विसेज प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक विभाग के इस प्रस्ताव को केजीएमयू कार्य परिषद की मंजूरी भी मिल गई है। इसके तहत केजीएमयू की इमरजेंसी में पहुंचते ही बच्चे बाल रोग विशेषज्ञ की निगरानी में होंगे। इससे पहले बच्चे विशेषज्ञ टीम द्वारा प्रशिक्षित किए गए डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा देखे जा चुके होंगे। कोरोना जन्य परिस्थितियां सामान्य होने के बाद इसे शुरू किया जा सकता है। 

ट्रामा सेंटर में हर वर्ग के मरीज आते हैं। अन्य के मुकाबले ब'चों में इमरजेंसी मैनेजमेंट के लिए विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। इमरजेंसी में तैनात स्टाफ का प्रशिक्षण इस तरह से नहीं होता है। प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से के अनुसार दुर्घटना के तुरंत बाद घायल को विशेषज्ञ की सीधी निगरानी में लाना। दूसरे हिस्से के अनुसार डाक्टरों, मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, यातायात कर्मी, एंबुलेंसकर्मी और सामान्य लोगों को भी इमरजेंसी मैनेजमेंट और प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए वीडियो भी तैयार किए जाएंगे। लेक्चर और डेमो आदि की भी मदद ली जाएगी।

प्रोजेक्ट में बच्चों के साथ बड़ों का भी ध्यान रखा गया है। इसके जरिए दुर्घटना के बाद अस्पताल पहुंचने में होने वाली देरी से होने वाले जोखिम को कम किया जा सकता है। पहले चरण में ट्रामा में डाक्टर और रेजीडेंट को प्रशिक्षण दिया जाएगा। दूसरे चरण में सीएचसी पर तैनात डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही पुलिसकर्मी, एंबुलेंसकर्मी और सामान्य लोगों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना है। -डा अजय सिंह, विभागाध्यक्ष, पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक, केजीएमयू

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