रंग लाई बाराबंकी के निवासी हरिश्चंद्र की मेहनत, मन की बात में पीएम मोदी ने सराही चिया सीड की खेती

Mann Ki Baat By PM Modi पीएम मोदी ने कहा कि पहले देश में चिया सीड को इसे बाहर से मंगाया जाता था लेकिन अब देश में चिया सीड उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता आ गई है यूपी के बाराबंकी जिले में चिया सीड की खेती शुरू की है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 09 Feb 2021 02:53 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 01:42 PM (IST)
रंग लाई बाराबंकी के निवासी हरिश्चंद्र की मेहनत, मन की बात में पीएम मोदी ने सराही चिया सीड की खेती
मन की बात में पीएम मोदी ने बाराबंकी की चिया सीड खेती की सराहना की।

बाराबंकी [दीपक मिश्रा]। बाराबंकी निवासी हरिश्चंद्र की मेहनत रंग लाई है। उनके द्वारा चिया सीड की खेती के प्रयासों को पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात में सराहा। अपने अभिभाषण में पीएम मोदी ने कहा कि हेल्‍थ अवेयरनेस से जुड़े लोगों में चिया सीड की मांग है। भारत में इसे पहले बाहर से मंगाया जाता था, लेकिन अब देश में चिया सीड उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता आ गई है। यूपी के बाराबंकी जिले में चिया सीड की खेती शुरू की है। ये खेती भी बढ़ाएगी साथ ही आत्‍मनिर्भर बनने में सहयोग भी करेगा। हरिश्चंद्र जिला सैनिक कल्याण अधिकारी 

बता दें कि चिया सीड की खेती चीन में अधिक होती है। इसके बाद अमेरिका में भी इसे खाने के लिए उगाया जाता है। इससे लड्डू, चावल, हलवा जैसे व्यंजन बनते हैं, जो वीआइपी भोजन में प्रयुक्त होता है। चिया सीड की खेती देश के मंदसौर और नीमच में अभी तक होती थी। अब यूपी में पहली बार सिद्धौर के अमसेरूवा में होने लगी है। चिया सीड की खेती करने वाले और कोई नहीं, बल्कि सुलतानपुर के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी हरिश्चंद्र हैं।

क्‍या है खासियत 

चिया सीडी की फसल रामदाना जैसी होती है जोकि 1500 से 1800 रुपये प्रति किलो की दर बिकती है। प्रति बीघा 75 हजार का खर्च आता है और शुद्ध मुनाफा डेढ़ से दो लाख रुपये तक होती है। चिया सीड अंतरराष्ट्रीय बाजार से सिर्फ ऑनलाइन ही मंगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए जलवायु हल्की ठंडी अनुकूल है।

ऐसे करें बोआई और खेत की तैयारी 

प्रगतिशील किसान हरिश्चंद्र सिंह ने बताया कि चिया सीड के भरपूर उत्पादन के लिए मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए। अच्छे अंकुरण के लिए बोआई से पूर्व खेत में उचित नमी होना आवश्यक है। यह फसल रबी के समय अक्टूबर और नवंबर माह में लगाई जाती है। 30 सेमी की दूरी पर बोआई की जाती है। अंकुरण के पश्चात 15 से 20 दिन के पश्चात पौधों की दूरी 15 सेमी कर दें। ये पूरी तरह से जैविक खेती है और इसमें सिर्फ गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट खाद डाली जाती है। अक्टूबर और नवंबर माह में इसकी बोआई करना उचित माना जाता है। इसमें बीज की मात्रा एक से डेढ़ किलो किलोग्राम प्रति एकड़ रखी जाती है।

115 दिनों में तैयार होती है फसल 

चिया सीड्स की फसल लगभग 115 दिन में पक कर तैयार हो जाती है, कटाई के लिए तैयार फसल को पूरे पौधे से उखाड़कर पांच दिनों तक सुखाया जाता है। सुखाने के बाद इसकी थ्रेसरिंग की जाती है। एक एकड़ से औसतन पांच-सात प्रति-क्विंटल की उपज प्राप्त की जा सकती है।

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