Diwali 2021: दीपावली पर इन मंत्रों का करें जाप, 12 महीने माता लक्ष्मी की रहेगी कृपा; जानें-शुभ मुहूर्त

Diwali 2021 दीपोत्सव पर मां लक्ष्मी की कृपा के लिए विशेष पूजन की जरूरत होती है। चार नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी लोगों को प्रातः कृतयों से निवृत्त होकर पितृगण और देवताओं का पूजन करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलेगी।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Wed, 03 Nov 2021 08:47 AM (IST) Updated:Thu, 04 Nov 2021 05:11 PM (IST)
Diwali 2021: दीपावली पर इन मंत्रों का करें जाप, 12 महीने माता लक्ष्मी की रहेगी कृपा; जानें-शुभ मुहूर्त
दूध, दही और शुद्ध देसी घी से पितरों का पारण श्राद्ध करना चाहिए।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। दीपोत्सव पर मां लक्ष्मी की कृपा के लिए विशेष पूजन की जरूरत होती है। चार नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी लोगों को प्रातः कृतयों से निवृत्त होकर पितृगण और देवताओं का पूजन करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलेगी। दूध, दही और शुद्ध देसी घी से पितरों का पारण श्राद्ध करना चाहिए। यदि यह संभव न तो दिन भर उपवास कर गोधूलि बेला में अथवा वृषभ सिंह आदि स्थिर लग्न में श्री गणेश, महालक्ष्मी, ऋद्धि सिद्धि,इंद्र, वरुण व कुबेर सहित ब्रह्मा ,विष्णु, महेश, कुलदेवता ,स्थान देवता, एवं सूर्यादि समस्त ग्रह नक्षत्र मंडल का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। 

आचार्य विजय वर्मा ने बताया कि दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का महोत्सव माना गया है जिसकी शुरुआत कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी अर्थात धनतेरस से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया अर्थात भैया दूज तक रहती है। दीपावली के पर्व पर धन की प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री धनदा मां भगवती लक्ष्मी के स्थान को आटा, हल्दी, अक्षत एवं पुष्प आदि से अष्टदल कमल बनाकर श्री लक्ष्मी का आह़वान करना चाहिए। आचार्य विजय वर्मा के मुताबिक पूजन में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व होता है। 10 मंंत्रों का जाप करके मां लक्ष्मी की पूजा करने से मां की कृपा पूरे 12 महीने तक बनी रहेगी। मां भगवती लक्ष्मी श्री गणेश जी का पूजन विभिन्न प्रकार की मिठाई, फल ,पुष्प ,अक्षत ,धूप दीप आदि सुगंधित वस्तुओं से करना चाहिए। मां लक्ष्मी के सामने हाथ जोड़कर परिवार के साथ इन मंत्रों का उच्चारण करना श्रेयस्कर हाेगा। 

पहला: मां के सामने हाथ जोड़कर इस मंत्र का करें जाप।

सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम ।

सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहम् ।।ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।।

दूसरा: मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा माता को दुर्वा चढ़ाएं ।

क्षीरसागरसम्भते दूर्वां स्वीकुरू सर्वदा ।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः दूर्वां समर्पयामि ।

तीसरा: इस मंत्र के द्वारा सफेद चावल मां लक्ष्मी को चढ़ाएं ।

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।

मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ।।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः, अक्षतान समर्पयामि ।।

चौथा: इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को कमल या गुलाब के फूलों की माला चढ़ाएं ।

माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।

ॐ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः, पुष्पमालां समर्पयामि ।।

पांचवां: इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को कुछ आभूषण चढ़ाएं ।

त्नकंकणवैदूर्यमुक्ताहाअरादिकानि च ।

सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरूष्व भोः ।

ॐ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।

अभूतिमसमृद्धि च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः, आभूषण समर्पयामि ।।

छठां: इस मंत्र के द्वारा माता लक्ष्मी को लाल व गुलाबी वस्त्र चढ़ाएं।

दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम् ।

दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।

ॐ उपैतु मां देवसुखः कीर्तिश्च मणिना सह ।

प्रादुर्भूतोस्मि राष्ट्रेस्मिन कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।।

सातवां: इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को स्नान के भाव से गाय का घी चढ़ाएं ।

ॐ घृतं घृतपावानः पिबत वसां वसापावानः पिबतान्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा ।

दिशः प्रदिश आदिशो विदिश उद्धिशो दिग्भ्यः स्वाहा ।।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः, घृतस्नानं समर्पयामि ।

आठवां: पूजा में इस मंत्र के द्वारा माता को शुद्ध जल चढ़ाएं ।

मंदाकिन्याः समानीतैर्हेमाम्भोरूहवासितैः ।

स्नानं कुरूष्व देवेशि सलिलैश्च सुगन्धिभिः ।।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि ।

नवां: इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को आसन के रूप में कमल पुष्प चढ़ाएं ।

तप्तकाश्चनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम् ।

अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ।।

ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।

श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

दसवां: लाल चंदन एवं लाल चंदन की माला इस मंत्र को बोलते हुए चढ़ाएं ।

रक्तचंदनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम् ।

मया दत्तं महालक्ष्मी चंदनं प्रतिगृह्यताम् ।।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः, रक्तचंदनं समर्पयामि ।।

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