Chaitra Navratri 2021: घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां भवानी, कंधे पर बैठकर करेंगी प्रस्थान; जानिए क्या है संकेत
आचार्य आंनद दुबे ने बताया कि सर्वार्थ सिद्धि योग नवरात्र के महत्व को बढ़ाने का काम करेगा। नवसंवत्सर विक्रम संवत 2078 से आनंद नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। चैत्र नवरात्र की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। वासंतिक नवरात्र 13 से शुरू होकर 21 को होगा समाप्त।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। मां के नौ स्वरूपों की आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते मंदिरों में दर्शन की नई व्यवस्था की जा रही है। गर्भ गृह में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा तो चौक के बड़ी काली जी मंदिर के पास लगने वाला मेला नहीं लगेगा। आचार्य आंनद दुबे ने बताया कि सर्वार्थ सिद्धि योग नवरात्र के महत्व को बढ़ाने का काम करेगा। नवसंवत्सर विक्रम संवत 2078 से आनंद नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। चैत्र नवरात्र की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। मां दुर्गा देवी का आगमन घोड़े पर सवार होकर रहा है, जो शुभ नहीं है। भय एवं युद्ध की स्थिति बनी रहेगी। कंधे पर देवी के प्रस्थान होने से यह राष्ट्र के लिए सुख समृद्धि कारक होगा।
आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि चैत्र नवरात्र ग्रीष्म ऋतु के आगमन की सूचना देता है। शक्ति की उपासना चैत्र मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। चैत्र नवरात्र 13 से शुरू होकर 21 अप्रैल को समाप्त होगी। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। चंद्रमा मेष राशि में रहेगा अश्विनी नक्षत्र और विश्कुंभ योग बन रहा है।
चैत्र नवरात्र घट स्थापना मुहूर्त : आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को सुबह आठ बजे शुरू होकर 13 अप्रैल को सुबह 10:16 पर समाप्त होगी। 13 अप्रैल को सुबह 5:45 बजे से 9:59 बजे तक कलश स्थापना करना श्रेयस्कर होगा। चौघडिय़ा व अभिजित मूहुर्त सुबह 11:41 से दोपहर 12:32 बजे तक रहेगा। इस बीच भी कलश स्थापित किया जा सकता है।