रक्त के माध्यम से जुड़ेंगी टूटी हड्डि‍यां, सीडीआरआइ ने बनाई मल्टीपल फ्रैक्चर जोड़ने की दवा

वैज्ञानिकों का दावा है कि यह हड्डी निर्माण के लिए दुनिया की पहली ऐसी औषधि होगी जिसे इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाएगा। मल्टीपल फ्रैक्चर होने पर की जाने वाली सर्जरी के मामलों में 20 प्रतिशत मामलों में पुनः सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 08:15 AM (IST)
रक्त के माध्यम से जुड़ेंगी टूटी हड्डि‍यां, सीडीआरआइ ने बनाई मल्टीपल फ्रैक्चर जोड़ने की दवा
इंजेक्शन से ली जाने वाली यह विश्व की पहली दवा होगी।

लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। मल्टीपल फ्रैक्चर में अब दोबारा सर्जरी कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने मल्टीपल फ्रैक्चर को जोड़ने के लिए लेक्टोफेरीन पेपटाइड से एलपी 2 नामक ऐसी औषधि की खोज की है जो रक्त के साथ प्रभावित जगह जाकर हड्डी को शीघ्र जोड़ने में मदद करेगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह हड्डी निर्माण के लिए दुनिया की पहली ऐसी औषधि होगी, जिसे इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाएगा। मल्टीपल फ्रैक्चर होने पर की जाने वाली सर्जरी के मामलों में 20 प्रतिशत मामलों में पुनः सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है कारण यह होता है कि हड्डी ठीक से जुड़ नहीं पाती, इससे मरीज को जहां दोबारा सर्जरी करवानी पड़ती है, वहीं तकलीफ से भी गुजरना पड़ता है। दुनिया में अब तक ऐसी कोई दवा उपलब्ध नहीं है, जिसे सर्जरी के बाद मरीज को देकर फ्रैक्चर जोड़ने में मदद की जाए।

सीडीआरआइ के डॉ. नैवेद्य चट्टोपाध्याय ने बताया कि एलपी 2 को पेप्टाइड इंजीनियरिंग के माध्यम से तैयार किया गया है। इसमें डॉक्टर जीमत कुमार घोष सहित वैज्ञानिकों ने सहयोग किया है । डॉक्टर चट्टोपाध्याय बताते हैं कि अब तक चिकित्सक मल्टीपल फ्रैक्चर की सर्जरी के समय जिस दवा का प्रयोग करते हैं, उसका इस्तेमाल ऑपरेशन करते समय सिर्फ एक बार ही किया जा सकता है। समस्या यह भी है कि यह दवा विदेशी है और काफी महंगी है। वही सीडीआरआइ के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार दवा को सर्जरी के बाद इंजेक्शन के माध्यम से जब तक हड्डी जुड़ न जाए तब तक लिया जा सकता है। यह शोध अमेरिकन केमिकल सोसायटी के प्रतिष्ठित जर्नल में बीती आठ अप्रैल को प्रकाशित हुआ है। डॉ. चट्टोपाध्याय बताते हैं कि न केवल मल्टीपल फ्रैक्चर बल्कि सामान्य फ्रैक्चर व ऑस्टियोपोरोसिस से होने वाले फ्रैक्चर में भी यह दवा कारगर होगी। संस्थान जल्द इसके क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेगा।

इन्होंने किया शोध

डॉ.नैवेद्य चट्टोपाध्याय, डॉ.जीमत कुमार घोष, कल्याण मित्रा, माधव एन. मुगाले, अमिताभ बंधोपाध्याय, चिराग कुलकर्णी, शिवानी शर्मा, कोनिका पोरवाल, नीरज के.वर्मा, मुनीश के.हरिऔध, देवेश पी. वर्मा, अमित कुमार, मोहम्मद सईद और शुभाशीष पाल।

तथ्य-देश में हर साल सड़क दुर्घटना से लगभग साढ़े चार लाख लोग चोटिल होते हैं, जिसमें से 20 प्रतिशत मामलों में मल्टीपल फ्रैक्चर होता है। ऐसे फैक्चर में सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। कठिनाई यह है कि सर्जरी के बाद भी अक्सर हड्डियां ठीक से जोड़ नहीं पाती जिससे पुनः सर्जरी करनी पड़ती है। देखा गया है कि हड्डी अक्सर गलत भी जुड़ जाती है जो जिंदगी भर तकलीफ देती है।

दवा जल्द जोड़ेगी हडडी- सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि छह सप्ताह में हड्डी जुड़ जाती है मल्टीपल फ्रैक्चर या बड़ी हड्डी के फ्रैक्चर में छह सप्ताह इंतजार करने के बाद देखा जाता है कि हड्डी नहीं जुड़ी।यही नहीं हड्डी न जुड़ पाने की स्थिति में इंफेक्शन होने की भी संभावना रहती है। ऐसे में सीडीआरआइ की दवा देने से इस बात की आशंका खत्म हो जाएगी कि हड्डी न जुड़े। इससे पुनः सर्जरी की संभावना को भी पूरी तरह से टाला जा सकता है।  

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