यूपी के ग्रामीण इलाकों में निराश्रित पशुओं की परेशानी से मिलेगी राहत, गांवों में भी कैटल कैचर का होगा उपयोग

यूपी में निराश्रित पशुओं की संख्या 11 करोड़ 84 लाख 494 है उनमें से करीब साढ़े सात करोड़ पशुओं को संरक्षित किया जा चुका है। ये निराश्रित पशु सड़क व अन्य स्थानों के साथ ही खेती आदि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रदेशभर से इसकी शिकायतें मिल रही हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 08:34 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 04:21 PM (IST)
यूपी के ग्रामीण इलाकों में निराश्रित पशुओं की परेशानी से मिलेगी राहत, गांवों में भी कैटल कैचर का होगा उपयोग
यूपी में निराश्रित पशुओं से परेशान लोगों को राहत देने के लिए गांवों में भी कैटल कैचर का उपयोग होगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में आवारा घूम रहे पशुओं से परेशान लोगों को जल्द राहत मिलने वाली है। शहरों की तर्ज पर अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी निराश्रित पशुओं को पकड़ने के लिए कैटल कैचर का उपयोग जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत उन दस जिलों से होगी, जहां पशुओं की संख्या काफी अधिक है। संबंधित जिला पंचायतों को इस संबंध में व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।

उत्तर प्रदेश में निराश्रित पशुओं की संख्या 11 करोड़ 84 लाख 494 है, उनमें से करीब साढ़े सात करोड़ पशुओं को संरक्षित किया जा चुका है। बड़ी संख्या में घूम रहे निराश्रित सड़क व अन्य स्थानों के साथ ही खेती आदि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रदेशभर से इसकी शिकायतें मिल रही हैं।

निराश्रित पशुओं को पकड़ने और उनके लिए किए गए इंतजामों को लेकर उच्च स्तरीय बैठक कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई, जिसमें संबंधित विभागों के अफसरों ने मंथन किया। विशेष सचिव पशुधन देवेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि नगर निगम, नगर पालिकाओं में कैटल कैचर उपलब्ध हैं और शहरों में उनका उपयोग हो रहा। अधिकांश निराश्रित पशु ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में घूम रहे हैं। निर्देश है कि नगर विकास विभाग से जिलावार कैटल कैचर की संख्या पशुपालन विभाग को उपलब्ध कराई जाए।

कृषि उत्पादन आयुक्त सिन्हा ने पंचायतीराज विभाग को निर्देश दिया कि सर्वाधिक निराश्रित पशु वाले 10 जिलों में पायलट रूप में कार्य शुरू हो। जिला पंचायत के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में कैटल कैचर की व्यवस्था कराई जाए। निराश्रित पशुओं को पकड़ने का कार्य इच्छुक सेवा प्रदाता से भी कराने को आउटसोर्स किया जाए, ताकि कम समय में अधिकाधिक निराश्रित को संरक्षित किया जा सके। बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन सुधीर गर्ग, अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार, विशेष सचिव पशुधन देवेंद्र कुमार पांडेय, विशेष सचिव पंचायती राज एसएमए रिजवी आदि मौजूद थे।

इन जिलों से होगी शुरुआत : महोबा, चित्रकूट, ललितपुर, झांसी, बांदा, बस्ती, गोंडा, श्रावस्ती, गाजीपुर व उन्नाव।

चौकीदार या केयर टेकर की हो व्यवस्था : गोआश्रय स्थलों पर संरक्षित पशुओं की सुरक्षा के लिए चौकीदार या केयर टेकर की व्यवस्था हो इसके लिए पंचायतीराज विभाग शासनादेश जारी करे। पशुओं को चिकित्सा सुविधा मिले और संभावित बीमारियों के लक्षणों के साथ पशु चिकित्साधिकारी का मोबाइल नंबर युक्त वाल पेंटिंग कराई जाए। पशुओं की शत-प्रतिशत टैगिंग व टीकाकरण कराने के निर्देश दिए गए हैं।

नौ विभागों को बांटे गए कार्य : निराश्रित पशुओं को पकड़ने से लेकर उन्हें संरक्षित करने के लिए नौ विभागों को जिम्मा सौंपा गया है। पशुओं को पकड़ने व उनके शव निस्तारण का जिम्मा नगर विकास व पंचायतीराज के पास है, फिर भी कार्रवाई पशु चिकित्साधिकारियों पर हो रही है, इसीलिए कार्य का फिर से विभाजन करके शासनादेश जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।

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