UP Panchayat Chunav 2021: उम्मीदवारों को बड़ी राहत, अब नहीं लेना पड़ेगा अदेय प्रमाण पत्र

विभागीय सूत्र के मुताबिक ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के बकायेदारों की तैयार की गई सूची आरओ व एआरओ को उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। इस सूची को सार्वजनिक स्थानों विशेषकर विकासखंड व जिला पंचायत कार्यालय पर प्रदर्शित करना चाहिए।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 04 Apr 2021 10:10 PM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 07:24 AM (IST)
UP Panchayat Chunav 2021: उम्मीदवारों को बड़ी राहत, अब नहीं लेना पड़ेगा अदेय प्रमाण पत्र
वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी बकायेदारों की सूची।

गोंडा, [वरुण यादव]। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने वालों के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें अदेय प्रमाण पत्र (नोड्यूज) बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पंचायतीराज विभाग बकायेदारों की सूची वेबसाइट पर उपलब्ध कराएगा। जिन उम्मीदवारों का नाम बकायेदारों की सूची में दर्ज नहीं है वह वेबसाइट से सूची डाउनलोड करके नामांकन पत्र के साथ संलग्न करेंगे। यदि सूची में नाम है तो वह बकाया राशि जमाकर रसीद लगाएंगे। अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इसको लेकर शासनादेश जारी कर दिया है।

आयोग की नहीं है मंशा : विभागीय सूत्र के मुताबिक ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के बकायेदारों की तैयार की गई सूची आरओ व एआरओ को उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। इस सूची को सार्वजनिक स्थानों विशेषकर विकासखंड व जिला पंचायत कार्यालय पर प्रदर्शित करना चाहिए। जिससे चुनाव लड़ने वाले बकायेदारी से संबधित जानकारी हो सके और वह अदेयता प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकें। अपर मुख्य सचिव के अनुसार सभी प्रत्याशी तीनों स्तर के अदेयता प्रमाण पत्र प्राप्त करें ये नियमावली व आयोग की मंशा नहीं है।

वेबसाइट पर दिखेगी सूची : निदेशक पंचायतीराज को ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के बकायेदारों की सूची धनराशि सहित www.panchayatraj.up.nic.in (जिस पर आरक्षण व आवंटन की सूची अपलोड की गई है) पर तत्काल अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।

क्या है पूरा मामला : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों के लिए कई शर्तें निर्धारित की हैं। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत का बकायेदार नहीं होना चाहिए। आयोग के इस फरमान पर नोड्यूज जारी करने के लिए तीनों स्तर पर दुकानें खुल गई थीं। एक्ट में नोड्यूज के लिए शुल्क निर्धारित न होने के बावजूद लोगों से वसूली हो रही थी। जिला पंचायत की नोड्यूज के लिए दावेदारों को सौ किलोमीटर का चक्कर लगाने के लिए भी मजबूर होना पड़ता था। 

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