UP Cabinet Approved: उत्तर प्रदेश में शीरा नीति को कैबिनेट की मंजूरी, 18 प्रतिशत होगा आरक्षित

UP Cabinet Approved गन्ना पेराई सत्र आरंभ होते ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शीरा नीति-2020-21 को स्वीकृति प्रदान कर दी। किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए एथनाल और शीरा बिक्री से प्राप्त आय से गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए टैगिंग की गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 11:08 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:24 AM (IST)
UP Cabinet Approved: उत्तर प्रदेश में शीरा नीति को कैबिनेट की मंजूरी, 18 प्रतिशत होगा आरक्षित
उत्तर प्रदेश में शीरा नीति को कैबिनेट की मंजूरी

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। गन्ना पेराई सत्र आरंभ होते ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शीरा नीति-2020-21 को स्वीकृति प्रदान कर दी। देशी शराब निर्माताओं के लिए 18 प्रतिशत शीरा आरक्षित किया गया है। किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए एथनाल और शीरा बिक्री से प्राप्त आय से गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए टैगिंग की गई है। गन्ने के रस से एथनाल बनाने वाली इकाइयों को प्रोत्साहित करने के लिए तीन वर्ष की छूट देने के अलावा स्थानीय खपत पूरी होने के बाद शीरा निर्यात की अनुमति भी प्रदान की जाएगी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में नई शीरा नीति पर मुहर लगा दी गई।

अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश में बी-हैवी शीरा से एथनाल उत्पादन प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्ष 2018-19 में मात्र दो चीनी मिलों ने बी-हैवी शीरे का उत्पादन किया। 2019-20 में 26 मिलों ने किया, जबकि 2020-21 में 60 चीनी मिलों द्वारा बी-हैवी शीरे का उत्पादन लक्ष्य निर्धारित है।

संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि वर्ष 2020-21 में 533.50 लाख क्विंटल शीरा उत्पादन का अनुमान है, जिससे देशी मदिरा के लिए आरक्षित शीरे की आवश्यकता 96.77 लाख क्विंटल आंकी गई है। गन्ने के रस से एथनाल निर्माण में निवेश प्रोत्साहन के लिए नई इकाइयों को तीन वर्ष के लिए आरक्षित शीरे से छूट दी गयी है।

उत्तर प्रदेश में शीरे की आवश्यकता के लिये पर्याप्त शीरा उपलब्ध होने पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी। शीरा आधारित लघु इकाइयों को शीरे का आवंटन उत्तर प्रदेश शीरा नियंत्रण अधिनियम, 1964 के तहत किया जाएगा। शीरा आधारित नई इकाइयों में एक लाख क्विंटल शीरा प्रतिवर्ष की मांग वाली इकाइयों के मामले में निर्णय लेने का अधिकार आबकारी आयुक्त को दिया गया है।

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