Nirjala Ekadashi 2021: व्रत से साल के सभी एकादशी का मिलता है पुण्य, जानिए क्या है मान्यता
Nirjala Ekadashi 2021 आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि ज्येष्ठ मास में दिन बड़े होते हैं। गर्मी की अधिकता के कारण बार -बार प्यास लगती है क्योकि इस दिन जल नहीं पिया जाता। इसलिए यह व्रत अत्यधिक श्रम -साध्य होने के साथ-साथ कष्ट एवं संयम -साध्य भी है।
लखनऊ, जेएनएन। Nirjala Ekadashi 2021: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी (भीमसेनी) 21 जून को है। दानपुण्य के इस व्रत के दौरान पूरे दिन विशेष नक्षत्र होने से दान का विशेष फल मिलेगा। सभी एकादशियों में से ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी सर्वोत्तम मानी गयी है। इस एकादशी का व्रत रखने से साल के सभी एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति होती है।
व्रत का विधान
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि ज्येष्ठ मास में दिन बड़े होते हैं। गर्मी की अधिकता के कारण बार -बार प्यास लगती है, क्योकि इस दिन जल नहीं पिया जाता। इसलिए यह व्रत अत्यधिक श्रम -साध्य होने के साथ-साथ कष्ट एवं संयम -साध्य भी है। जलपान के निषिद्ध होने पर भी इस व्रत में फलाहार के पश्चात दूध पीने का विधान है। अचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए की वह जल से कलश को भरे। उस पर सफेद वस्त्र से ढक्कन रखे। उस के ऊपर शर्करा तथा दक्षिणा रखकर दान दें। कोरोना संक्रमण के चलते यतीमों को दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होगी।
समाज सेवा से जुड़ा है दान
आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि कोरोना के संक्रमण काल में यदि आप किसी को दान करते हैं तो पुण्य के साथ आपको समाजसेवा का भी अवसर मिलेगा। यथा संभव अन्न,मिट्टी का घड़ा, छतरी,जूता,पंखी तथा फलादि का दान करना उत्तम माना गया है। ज्योतिषाचार्य आनंद दुबे ने बताया कि इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशायी रूप में भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व माना है। इस दिन विधि पूर्वक जल कलश का दान करने वालों को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। आचार्य विजय वर्मा ने बताया कि इसी व्रत को करके भीमसेन ने 10 हजार हाथियों का बल प्राप्त कर दुर्योधन के ऊपर विजय प्राप्त की ।