Bharat Bandh: यूपी में कैसा रहेगा भारत बंद का असर, सपा समर्थन में तो विरोध में उतरेंगे व्यापारी
Bharat Bandh हाथों में गुलाब का पुष्प लेकर व्यापारी राजधानी में परिवर्तन चौक से पैदल मार्च निकालेंगे। कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कारोबारी सत्याग्रह करेंगे। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर सामने आएगी।
लखनऊ, जेएनएन। Bharat Bandh: उप्र खाद्य पदार्थ उद्योग व्यापार मंडल के तत्वावधान में किसानों के प्रस्तावित भारत बंद के खिलाफ व्यापारी रविवार को सड़क पर उतरेंगे। हाथों में गुलाब का पुष्प लेकर व्यापारी राजधानी में परिवर्तन चौक से पैदल मार्च निकालेंगे। कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कारोबारी सत्याग्रह करेंगे। साथ ही कानूनों में कुछ संशोधन की मांग करेंगे। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर सामने आएगी। सपा इस मुद्दे पर अपने साझीदार राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से भी गहन चर्चा कर रही है। किसान संगठनों के 27 सितंबर को भारत बंद के समर्थन का भी ऐलान रविवार को सपा कर सकती है।
यह जानकारी व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र ने दी। उन्होंने बताया कि इसमें प्रदेश की विभिन्न गल्ला मंडियों के आढ़ती, व्यापारी, मंडी के बाहर खाद्य पदार्थ की बिक्री करने वाले लोग रविवार को सत्याग्रह प्रदर्शन व पैदल मार्च का आयोजन करेंगे। इस प्रदर्शन में आढ़ती व व्यापारी हाथों में गुलाब के फूल लेकर कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए किसानों के आंदोलन के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। इस प्रदर्शन में गल्ला उप्र. दाल मिलर्स एसोसिएशन, उप्र. राइस मिलर्स एसोसिएशन, किराना व्यापारी, सब्जियों के कारोबारी एवं पूर्व में मंडी अधिनियम के अंर्तगत आने वाली अन्य बाज़ारों के पदाधिकारी भी शामिल होंगे।
किसान आंदोलन के समर्थन में आएगी सपा : समाजवादी पार्टी तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर सामने आएगी। सपा इस मुद्दे पर अपने साझीदार राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से भी गहन चर्चा कर रही है। किसान संगठनों के 27 सितंबर को भारत बंद के समर्थन का भी ऐलान रविवार को सपा कर सकती है। इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि भाजपा सरकार का किसानों के प्रति रवैया अपमानजनक और संवेदनशून्य है। तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर पिछले 10 महीने से किसान आंदोलन चल रहा है। इसका स्वरूप और आकार बढ़ता ही जा रहा है।
भाजपा राज में गांव पूर्णतया उपेक्षित हैं। खेती-किसानी बर्बाद है। किसान को न तो फसलों का एमएसपी मिल रहा है और न ही किसान की आय दोगुनी करने का वादा निभाया जा रहा है। गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। जब सरकार बकाया ही नहीं दे पा रही है तो वह उस पर लगने वाला ब्याज कहां से देगी। भाजपा सरकार किसानों की उचित मांगें तक मानने को तैयार नहीं है। समाजवादी सरकार में ही किसानों के साथ न्याय होगा।
पिछड़ों को उनका हक नहीं देना चाहती सरकार
अखिलेश यादव ने पिछड़ों की गणना न कराने पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने शनिवार को ट्वीट किया, ...भाजपा सरकार ने लंबे समय से चली आ रही 'ओबीसी' समाज की गणना की मांग को ठुकरा कर साबित कर दिया है कि वो 'अन्य पिछड़ा वर्ग' को गिनना नहीं चाहती है क्योंकि वो ओबीसी को जनसंख्या के अनुपात में उनका हक नहीं देना चाहती है। धन-बल की समर्थक भाजपा शुरू से ही सामाजिक न्याय की विरोधी है।