बसपा सुप्रीमो मायावती की सोशल इंजीनियरिंग, लखनऊ में कल ब्राह्मणों से करेंगी संवाद
BSP Prabuddhajan Sammelan विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी जीत का समीकरण बनाने के लिए सभी दल विभिन्न जाति-वर्गों को जोडऩे की हर कोशिश कर रहे हैं। पिछड़े और दलितों के अलावा सवर्णों में खास तौर से ब्राह्मणों पर सपा और बसपा की नजर है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। ब्राह्मण समाज को रिझाने के लिए बसपा के अब तक चल रहे प्रयासों में अब एक जोर खुद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भी लगाएंगी। सत्ता के लिए सोशल इंजीनियरिंग का सूत्र एक बार फिर आजमाने के लिए अब तक 74 जिलों में प्रबुद्धजन सम्मेलन किए जा चुके हैं। आखिरी सम्मेलन मंगलवार को लखनऊ स्थित पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में होगा, जिसमें खुद मायावती भी मौजूद रहेंगी।
विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी जीत का समीकरण बनाने के लिए सभी दल विभिन्न जाति-वर्गों को जोडऩे की हर कोशिश कर रहे हैं। पिछड़े और दलितों के अलावा सवर्णों में खास तौर से ब्राह्मणों पर सपा और बसपा की नजर है। दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ के वर्ष 2007 के सफल फार्मूले को दोहराने की मंशा से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग को फिर हथियार बनाया है। ब्राह्मणों को पार्टी से जोडऩे की जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को सौंपी गई। उन्होंने 23 जुलाई को अयोध्या से प्रबुद्धजन सम्मेलन की शुरुआत की। इसके बाद अलग-अलग चरणों में सम्मेलन करते हुए अब तक 74 जिलों में ब्राह्मणों के बीच मंच सजा चुके हैं। आखिरी जिला लखनऊ बचा है। यहां मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में सम्मेलन होगा। सतीश चंद्र मिश्र ने बताया कि राजधानी में हो रहे सम्मेलन में प्रदेश भर से भी समाज के बड़ी संख्या में प्रतिनिधि बुलाए गए हैं, जिन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती संबोधित करेंगी।
मिश्र ने कहा कि राज्यभर में किए गए सम्मेलनों में मौजूदा प्रदेश सरकार से ब्राह्मणों की जबरदस्त नाराजगी दिखी। मिश्र के मुताबिक वर्ष 2007 में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने से पहले दो वर्षों तक उन्होंने इसी तरह के सम्मेलन किए थे। उन सम्मेलनों में भी तत्कालीन सपा सरकार के प्रति समाज की उतनी नाराजगी नहीं थी, जितनी इस समय देखने को मिल रही है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि भाजपा सरकार के साथ ही सपा से भी समाज की नाराजगी है। ऐसे में बसपा के प्रति काफी उत्साह नजर आ रहा है।