Black Fungus Alert: लखनऊ में ब्लैक फंगस का इंजेक्शन एंफोटेरिसिन-बी बाजार से गायब, एक मरीज के संपूर्ण इलाज में 64 डोज की खपत
Black Fungus Alert अपोलो अस्पताल में भर्ती मरीज को नहीं मिला कहीं भी इंजेक्शन। एक मरीज को लगाना पड़ा रहा करीब 64 इंजेक्शन। दो हफ्ते पहले तक यह इंजेक्शन उपलब्ध थे। मगर एक्सपायरी आने से उन्हें वापस कर दिया गया। नई खेप अभी नहीं आई है।
लखनऊ, जेएनएन। Black Fungus Alert: ब्लैक फंगस(म्यूकोरमायकोसिस) के इलाज में काम आने वाला महत्वपूर्ण इंजेक्शन लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन बी-दवा बाजार से गायब हो चुका है। रविवार को अपोलो अस्पताल में भर्ती एक मरीज को पूरे लखनऊ में ढूंढ़ने पर कहीं भी इंजेक्शन नहीं मिला। वहीं अन्य अस्पतालों में भर्ती मरीजों के तीमारदारों के अनुसार भी इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि अभी तक इस इंजेक्शन की मांग बहुत कम रहा करती थी। इसलिए बाजार में इसकी उपलब्धता भी कम ही होती थी। एक्सपायर होने की वजह से ये इंजेक्शन अप्रैल में कंपनियों को वापस भेज दिए गए।
इधर, ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने से इंजेक्शन की मांग तेजी से बढ़ने लगी। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता सुरेश कुमार ने बताया कि एंटीफंगल इंजेक्शन की मांग अभी तक बहुत कम रहती थी। इसके अतिरिक्त महंगा होने की वजह से सभी मेडिकल स्टोर इसे अपने यहां रखते भी नहीं थे। अधिकांश मेडिकल स्टोर सिर्फ आठ से 12 वायल ही रखते थे। मगर ब्लैक फंगस पीड़ित एक मरीज के संपूर्ण इलाज में 50 से 64 इंजेक्शन तक की जरूरत पड़ रही है। इसलिए फिलहाल यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब 11 कंपनियां इसे बनाती हैं। मगर सभी सीमित मात्रा में ही बनाया करती थी। हर बार इंजेक्शन बच ही जाते हैं। इसलिए उन्हें वापस करना पड़ जाता था। अबकी बार भी वही हुआ। अब नई खेप आने के बाद ही दोबारा इंजेक्शन की उपलब्धता हो सकेगी। इसमें करीब एक हफ्ते का समय लग सकता है। डिमांड कंपनियों को भेजी गई है।
तीन से 14 हजार तक है कीमत: अलग-अलग निर्माता कंपनियां इस इंजेक्शन को भिन्न-भिन्न दामों पर बेचती भी हैं। केमिस्ट एसोसिएशन के सदस्य सीएम दुबे ने बताया कि दो हफ्ते पहले तक यह इंजेक्शन उपलब्ध थे। मगर एक्सपायरी आने से उन्हें वापस कर दिया गया। नई खेप अभी नहीं आई है। उन्होंने बताया कि इस इंजेक्शन की कीमत अलग-अलग ब्रांड के अनुसार तीन हजार से लेकर 14 हजार तक है। इस हिसाब से एक मरीज के इलाज में कई लाख रुपये के इंजेक्शन लग जाते हैं। इसे खरीद पाना सामान्य मरीजों के बस की बात नहीं है।
इससे पहले कोरोना की दवाएं व इंजेक्शन भी हुए थे गायब: ब्लैक फंगस से पहले कोरोना के इलाज में काम आने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन से देखते ही देखते गायब हो गया था। जिसके चलते इसकी ब्लैक मार्केटिंग होने लगी थी। इसका विकल्प कहा जाने वाला डेक्सामेथासोन भी लंबे समय तक बाजार में नहीं मिल पा रहा था। अब मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से एंफोटेरिसिन-बी के ब्लैक मार्केटिंग की भी आशंका बढ़ गई है।
सुलतानपुर से केजीएमयू आया ब्लैक फंगस का संदिग्ध: सुलतानपुर के गभड़िया से केजीएमयू ब्लैक फंगस का एक अन्य संदिग्ध मरीज सामने आया है। मरीज को फिलहाल ट्रायज एरिया में रखा गया है। परिवारजनों का आरोप है कि डाक्टर मरीज को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और सिर्फ ग्लूकोज की बोतल लगाकर छोड़़ दिया है।मरीज वकार अहमद के परिवारजन ने बताया कि वह 13 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हो गए थे। इसके बाद वह ठीक हो चुके थे। मगर कई दिनों से उनकी नजर अचानक कमजोर होने लगी। स्थानीय डाक्टरों ने जब ब्लैक फंगस की आशंका जाहिर की तो उन्हें परिवारजन केजीएमयू ले आए।