Black Fungus: कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद अब ब्लैक फंगस का हमला, UP में एक दिन में तीन की मौत

Black Fungal Infection in UP कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिलने या फिर होम आइसोलेशन में ही उपचार के बाद ठीक होने पर भी राहत नहीं है। अब इनमें से बड़ी संख्या के लोगों पर ब्लैक फंगस नई आपदा बनकर टूट रहा है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 09:11 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 12:37 PM (IST)
Black Fungus: कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद अब ब्लैक फंगस का हमला, UP में एक दिन में तीन की मौत
लोगों पर ब्लैक फंगस नई आपदा बनकर टूट रहा है

लखनऊ, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण से उबरे कुछ लोगों पर अब ब्लैक फंगस का भी हमला हो रहा है। प्रदेश में शुक्रवार को तीन लोगों की मौत हो गई जबकि निजी अस्पतालों में भर्ती एक दर्जन से अधिक लोगों की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।

कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिलने या फिर होम आइसोलेशन में ही उपचार के बाद ठीक होने पर भी राहत नहीं है। अब इनमें से बड़ी संख्या के लोगों पर ब्लैक फंगस नई आपदा बनकर टूट रहा है। एक तरफ प्रदेश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है। दूसरी ओर अब इसके साथ ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस ने कोरोना संक्रमितों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा उन पर घातक साबित हो रहा है जो कि कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और उन्हेंं डायबिटीज यानी मधुमेह है। ब्लैक फंगस ऐसे लोगों के फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर असर डाल रहा है और यह उनकी जान पर भारी पड़ रहा है। इसके प्रभाव से लोगों की आंखों में रोशनी भी खत्म हो रही है। यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इससे शरीर के कई अंग बेहद प्रभावित हो सकते हैं। शुक्रवार को मेरठ में इसकी चपेट में आने के बाद एक और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया। इन दिनों प्रदेश के निजी कोविड अस्पतालों में बड़ी संख्या में नए मरीज मिल रहे हैैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई गई है।

मेरठ में न्यूटिमा में भर्ती मुजफ्फरनगर के एक मरीज की शुक्रवार को मौत हो गई, वहीं होप अस्पताल में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीज की आंख खराब हो गई। इस मरीज की आंख को निकालना पड़ा है। इसके बाद से मेरठ जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। यहां पर निजी अस्पतालों एवं ईएनटी क्लीनिकों से ब्लैक फंगस के लक्षणों वाले मरीजों की जानकारी जुटाई जा रही है। इससे पहले ही मेरठ मेडिकल कालेज में ब्लैक फंगस के पांच मरीजों का इलाज चल रहे है, जबकि दो दिन पहले एक को नई दिल्ली रेफर कर दिया गया था। न्यूटिमा, लोकप्रिय, होप एवं भाग्यश्री समेत कई अस्पतालों में इससे पीडि़त मरीज भर्ती हैं। बाजार में इसके लिए जरूरी दवाएं न मिलने से मरीजों की जिंदगी दांव पर है।

मेरठ के ईएनटी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूकरमाइकोसिस नामक फंगस वातावरण में हमेशा रहता है, लेकिन कोविड मरीजों को यह ज्यादा पकड़ रहा है। न्यूटिमा के डा. संदीप गर्ग ने बताया कि ब्लैक फंगस बेहद खतरनाक बीमारी है। पिछली लहर की तुलना में इस बार पोस्ट कोविड फेज में यह ज्यादा देखी जा रही है। आनंद अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ब्लैक फंगस के दो मरीजों का आपरेशन किया है।

झांसी में ब्लैक फंगस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती ब्लैक फंगस के दोनों मरीजों की कल मौत हो गई है। यहां पर मंगलवार को एमआरआइ जांच में पांच लोगों में ब्लैक फंगस होने की पुष्टि हुई थी, जिनमें से दो लोग मेडिकल कालेज में भर्ती थे। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के विभागाध्यक्ष, ईएनटी डा. जितेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि जिन दो लोगों का उपचार चल रहा था, वह दोनों लोग शारीरिक रूप से बहुत कमजोर थे और उनकी इम्यूनिटि वीक थी। उनका उपचार चल रहïा था, इसी बीच इम्यूनिटि कम होने से इन्फेक्शन बढ़ता चला गया। दोनों की मौत हो गई।

गाजियाबाद में भी ब्लैक फंगस: ब्लैक फंगस की चपेट में आने वाले गाजियाबाद में भी चार लोग मिले हैं। चारों राजनगर स्थित हर्ष पालीक्लीनिक में इलाज कराने पहुंचे हैं। डॉ.बीपी त्यागी ने बताया की शुक्रवार को ऐसे ही दो मरीजों का आपरेशन किया गया है। अब दोनों स्वस्थ हैं। ब्लैक फंगस कोरोना इलाज के दौरान अधिक स्टेरायड लेने से होता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को यह अपना शिकार बनाता है।

हवा से फैलता है ब्लैक फंगस: ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसी बीमारी है जो कि किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि वातावरण में हवा के माध्यम से सांस लेने पर इंसान के अंदर प्रवेश करता है। खासकर यह बीमारी उन लोगों को होती है, जो कि कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और उन्हेंं डायबिटीज है। यह बीमारी उनको होती है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद ही कमजोर है।

म्यूकरमाइकोसिस होने पर 95 फीसद तक मौत का खतरा: विशेषज्ञ बताते हैं म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में आने वाले 95 प्रतिशत लोगों की मौत होना तय है। इससे मात्र पांच प्रतिशत लोगों को ही बचाया जा सकता है। इसका इलाज महंगा और दवाइयों की कमी के कारण इलाज भी बेहद ही चुनौतीपूर्ण है।

लम्बे समय तक आइसीयू में रहने का दुष्प्रभाव: लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि लंबे समय तक आइसीयू में रहने के साथ ही स्टेरायड के अत्यधिक सेवन एवं अनियंत्रित शुगर की वजह से यह ब्लैक फंगस प्रभावी हो हो रहा है। कई मरीजों की आंखों की पुतली ने घूमना बंद कर दिया है। इसके साथ चेहरे की नसें ठंडा-गरम का अहसास नहीं कर पा रही हैं। मेडिकल कालेज ने दो को रेफर किया है।

शुगर लेवल बढऩे के साथ बढ़ा ब्लैक फंगस का प्रभाव: मेरठ के नाक, कान, गला (ईएनटी) रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक सिंह ने बताया कि सप्ताहभर में ब्लैक फंगस के दर्जनों मरीज देख चुका हूं। फंगस ऐसे मरीजों को पकड़ रहा जिनका शुगर लेवल 400 के आसपास है, और जो लंबे समय तक स्टेरायड ले चुके हैं। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में भी इसके मरीज मिले थे लेकिन इस बार इनकी संख्या बहुत ज्यादा है। वक्त पर इलाज और आपरेशन की सुविधा न मिले तो मरीज की आंख खराब होने के साथ ही मौत भी हो सकती है। यह बीमारी दो-तीन दिन में ही बड़ी तेजी से बढ़ती है। 

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