दलित व पिछड़ों को साधती चली भाजपा का वैश्यों पर भी हाथ, जानिए विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के पीछे क्या थी सोच

भाजपा की चुनावी रणनीति में फिलहाल जातीय गुणा-भाग ठीक-ठाक देखने को मिल रहा है। जातीय समीकरण साधने की राजनीतिक दलों की होड़ में भाजपा अब तक दलित और पिछड़ों की ओर तेज कदम बढ़ाती रही है और अब उसने वैश्यों पर भी हाथ रखा है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 07:00 AM (IST)
दलित व पिछड़ों को साधती चली भाजपा का वैश्यों पर भी हाथ, जानिए विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के पीछे क्या थी सोच
दलित और पिछड़ों के साथ रही भाजपा अब वैश्य समाज के साथ भी है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। जातीय समीकरण साधने की राजनीतिक दलों की होड़ में भाजपा अब तक दलित और पिछड़ों की ओर तेज कदम बढ़ाती रही है और अब उसने वैश्यों पर भी हाथ रखा है। नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने के पीछे यह मंंशा तो है कि भगवा खेमे के पारंपरिक माने जाने वाले वोट बैंक से रिश्तों की डोर और मजबूत की जाए, इसे जीएसटी और मनीष हत्याकांड से महसूस की जा रही नाराजगी को कुछ हद तक थामने की की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

भाजपा की चुनावी रणनीति में फिलहाल जातीय गुणा-भाग ठीक-ठाक देखने को मिल रहा है। बीते दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में सात नए मंत्री बनाकर एक ब्राह्मण सहित, तीन पिछड़े और तीन दलित को एक तरह से संदेशवाहक बनाकर प्रदेशभर में जन आशीर्वाद यात्रा निकाली गई। फिर प्रदेश के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो सात ही मंत्री बढ़े और सवर्ण, दलित-पिछड़ों का कोटा भी केंद्र के समान रहा। अब सामाजिक सम्मेलन के जरिए पार्टी यह संदेश देने में जुटी है कि सरकार और संगठन में किस जाति-वर्ग को कितना प्रतिनिधित्व दिया गया।

ऐसे में वैश्य समाज जरूर अलग-थलग माना जा रहा है। इस बीच कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या ने उन चर्चाओं को बल दे दे दिया कि जीएसटी की जटिलताओं से कारोबारी दिक्कतें झेलकर मुंह फुलाए बैठा वैश्य समाज मनीष हत्याकांड और सरकार में अपेक्षित तवज्जो न मिलने से नाराज है। भाजपा के रणनीतिकारों ने इसे समझा और प्रयास शुरू कर दिए। उसी के तहत भाजपा ने सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने का फैसला किया।

नितिन अग्रवाल कागजों में सपा विधायक हैं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने पिता पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल के साथ भाजपा के पाले में आ गए थे। तब पार्टी ने नरेश अग्रवाल से सम्मानजनक पद का वादा किया था। इस तरह भाजपा ने अपना वादा पूरा कर दिया और वैश्य समाज को सम्मान का संदेश भी देने की कोशिश की है।

हरदोई और आसपास की कुछ सीटों पर नजर : नितिन अग्रवाल के सहारे भाजपा हरदोई और आसपास की सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। उसी क्षेत्र से पार्टी ने कुछ बागी सुर भी सुने हैं। ऐसे में वहां समीकरण के अनुसार आगामी विधानसभा चुनाव में नए मोहरे भी सजाए जा सकते हैं।

14 नवंबर को सम्मेलन से देंगे संदेश : नितिन अग्रवाल विधानसभा उपाध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं। वैश्य समाज और व्यापारियों को इस संदेश भी देना है, इसलिए 14 नवंबर को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में वैश्य एवं व्यापारी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इसके आयोजक खुद नितिन होंगे, जो कि व्यापार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, जबकि मुख्य वक्ता व्यापार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल और भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल होंगे।

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