Assembly Election 2022: चुनौतियां पूछकर चुटकी में समाधान दे गए अम‍ित शाह, कहा-अब हि‍ंदुत्व पर ही खिलाइए

प्रदेश में लगातार हर चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर रही भाजपा विधान सभा चुनाव- 2022 की तैयारियों में कई महीनों से लगी है। अब चुनाव नजदीक आते ही अमित शाह खुद चुनावी रणनीति थामने के लिए आगे आ गए हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 31 Oct 2021 06:15 AM (IST) Updated:Sun, 31 Oct 2021 09:29 AM (IST)
Assembly Election 2022: चुनौतियां पूछकर चुटकी में समाधान दे गए अम‍ित शाह, कहा-अब हि‍ंदुत्व पर ही खिलाइए
कहा, पश्चिम में थामे रखें पुराना वोट, हर क्षेत्र के लिए होगी अलग रणनीति।

लखनऊ, [जितेंद्र शर्मा]। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों की 'एक्सरे रिपोर्ट' साथ लेकर आए थे। पार्टी के वरिष्ठ पदधिकारियों के साथ बैठक में वह चुनाव सह-प्रभारियों से क्षेत्रवार परेशानी पूछते गए और उस मर्ज के लिए हाथों-हाथ समाधान की पुडिय़ा थमाते गए। किसानों के प्रभाव वाले पश्चिम सहित हर क्षेत्र के लिए अलग रणनीति समझाई। सबसे अहम तो यह कि शाह ने विपक्ष की नब्ज भी टटोल ली है। मंदिर-मंदिर माथा टेकते विपक्षी नेताओं का जिक्र कर समझा दिया कि विपक्ष खुद ही हि‍ंदुत्व की भगवा पिच पर आ खड़ा हुआ है। भाजपा के पास राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और सीएए हैं, अब उन्हीं पर खिलाइए।

प्रदेश में लगातार हर चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर रही भाजपा विधान सभा चुनाव- 2022 की तैयारियों में कई महीनों से लगी है। प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सि‍ंह के बाद सात सह प्रभारियों की टीम के साथ चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सि‍ंह के सहयोग के लिए आ चुके हैं। मगर, चुनाव नजदीक आते ही अमित शाह खुद चुनावी रणनीति थामने के लिए आगे आ गए। एक अंतराल से भाजपा के लिए सूखी रही उप्र की धरती पर अपनी मेहनत और रणनीति से हर तरफ कमल खिला चुके शाह शुक्रवार को लखनऊ आए तो बंद कमरे में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ खुलकर बात की। बैठक में मौजूद सूत्रों ने बताया कि गृहमंत्री ने बारी-बारी से सभी चुनाव सह प्रभारियों से क्षेत्रवार माहौल, चुनौतियां आदि पूछीं। जैसे कि शाह पहले से सबके लिए पर्ची बनाकर लाए थे। ज्यों ही पदाधिकारी स्थानीय चुनौती बताते, वह उसका तुरंत समाधान और जीत की रणनीति समझा देते।

उन्होंने हर क्षेत्र के लिए अलग रणनीति बताई और कहा कि सह प्रभारी अपने क्षेत्र पर नजर रखें। अधिक से अधिक प्रवास करें। कमजोर सीटों को चिन्हित कर रिपोर्ट दें। वहीं, पश्चिम में कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर चर्चा हुई तो सामने आया कि इसका प्रभाव बहुत सीमित है। इस पर अमित शाह ने समझाया कि हालात स्थिर ही रखें। जो हमारा पुराना वोटर है, उस पर पकड़ बनाए रखें तो कोई मुश्किल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चुनौती 2014 के लोकसभा चुनाव में भी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में कठिनाइयां थीं। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन की चुनौती सबसे बड़ी थी, फिर भी हर बार भाजपा जीती। अब कोई नई परिस्थिति ऐसी नहीं हो सकती, जो जीत में बाधा बने।

गृहमंत्री ने कहा कि योगी सरकार ने प्रदेश के हर क्षेत्र में काम कराया है। भाजपा की जीत के लिए यह काफी है। फिर भी हमें जीत के लिए विपक्ष के रुख को भी करीब से देखना चाहिए। सपा के अखिलेश यादव, कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, आम आदमी पार्टी के अरवि‍ंद केजरीवाल सहित बसपा नेता खुद को सेक्युलर साबित करने में लगे रहते थे, जबकि आज सभी में मंदिर जाने की होड़ है। इसे समझना होगा कि हि‍ंदुत्व पर चुनावी मुकाबले के लिए विपक्ष खुद आगे आया है। हम जनता को बता सकते हैं कि कैसे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया, कैसे अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। समान नागरिकता संहिता पर भाजपा सरकार आधा काम कर चुकी है, आधा जल्द होने जा रहा है। विपक्ष हमारी इस पिच पर कतई नहीं ठहर सकता।

मोदी बनाएंगे माहौल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अब लगातार प्रदेश का दौरा करेंगे। मोदी के दौरे पहले ही शुरू हो चुके। वह योगी सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण कर माहौल बनाएंगे। संदेश देेंगे कि भाजपा सरकार किस तरह प्रदेश को आगे लेकर आई है। वहीं, शाह के दौरे संगठनात्मक होंगे। वह मुख्य तौर पर रणनीति पर ही काम करेंगे।

30 अक्टूबर को ही चली थीं रामभक्तों पर गोलियां :  अमित शाह हि‍ंदुत्व का एजेंडा समझाकर गए और वक्त का महत्व समझते हुए पार्टी ने उस पर काम भी शुरू कर दिया। प्रदेश भाजपा के ट्व‍िटर हैंडल से शनिवार शाम को एक वीडियो ट्वीट किया गया। उसमें कहा गया है कि 30 अक्टूबर, 1990 को ही पहली बार हजारों निरीह और निर्दोष रामभक्तों पर 'अब्बाजान' ने गोलियां चलवाकर उन्हें मौत की नींद सुला दिया था। श्रीराम की अयोध्या खून से लाल हो गई थी। वीडियो में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सि‍ंह 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस के समय गोली चलाने का आदेश नहीं देने का संस्मरण सुना रहे हैं। वीडियो के साथ लिखा गया है कि तुष्टिकरण के 'अब्बाजान' ने चलवाई थीं रामभक्तों पर अंधाधुंध गोलियां। भाजपा सरकार कर रही श्रद्धेय बाबूजी के राम मंदिर के सपने को पूरा।           

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