Zilla Panchayat President Election: निर्दलियों को पाले में करने के लिए भाजपा, सपा और बसपा ने झोंकी ताकत
लखनऊ जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी किसके हाथ लगेगी यह तो तीन जुलाई की शाम को ही पता चलेगा। लेकिन इसके लिए पार्टियों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। भाजपा व सपा भले जीतने का दम भर रहे हैं लेकिन आगे की राह किसी के लिए आसान नहीं है।
लखनऊ, (राजीव बाजपेयी)। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी किसके हाथ लगेगी यह तो तीन जुलाई की शाम को ही पता चलेगा। लेकिन, उस तक पहुंचने के लिए पार्टियों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी और सत्ता धारी भाजपा भले ही कुर्सी की रेस में अपने को आगे होने का दम भर रहे हैं लेकिन, सत्ता की कुंजी निर्दलीय प्रत्याशियों के हाथ में रहेगी।
त्रिस्तरीय चुनाव नतीजों के बाद जो समीकरण सामने हैं उसमें समाजवादी पार्टी रेस में सबसे आगे थी। सपा ने दस सदस्य जीतने का दावा किया था। सत्ता धारी दल के लिए चुनाव नतीजे निराशाजनक जरूर थे लेकिन जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है समीकरण बदलते दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष प्रत्याशी के लिए एक निर्दलीय को अपने खेमे से खड़ा करने जा रही है। जिला पंचायत की कुल 25 सीटों में से छह सदस्य बिना किसी पार्टी के समर्थन से चुनाव जीतकर आए हैं। अब सभी पार्टियों की इन निर्दलीयों पर नजर है। सपा का दावा है कि उसके दस सदस्य जीतकर आए हैं और कुर्सी के लिए उसके पास पर्याप्त समर्थन है। जीत के लिए 13 का आंकड़ा चाहिए लेकिन अपने सदस्य बचाकर तीन अतिरिक्त का इंतजाम करने की चुनौती है।
अब देखना है कि समाजवादी पार्टी इस मैनेजमेंट में कितना सफल हो पाती है। दरअसल, सपा के पास सबसे बड़ी चुनौती खुद के सदस्यों को संभालकर रखने की है। वहीं बहुजन समाज पार्टी भी कुर्सी की दौड़ में शामिल है। बसपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। चुनाव में पांच वार्ड से उसके समर्थन से प्रत्याशी जीते थे। चुनाव में सबसे चौंकाने वाला परिणाम बख्शी का तालाब ब्लाक से आया था जहां भीम आर्मी ने एक सीट पर कब्जा किया था। भीम आर्मी किस तरफ जाती है यह भी देखना दिलचस्प होगा। चूंकि मुकाबला बेहद नजदीकी है इसलिए एक-एक वोट अहम होगा। जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर दर्शक की भूमिका में नजर आ रही है।
लखनऊ में पार्टी और निर्दल की स्थिति