'मोदी-फाइड' मुस्लिमों के सहारे यूपी की सौ विधानसभा सीटों पर भाजपा की नजर, जानें- क्या है यह रणनीति

सरकार से मिले आवास रसोई गैस बिजली कनेक्शन अनुदान आदि को सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की नीति से जोड़कर जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की चर्चा शुरू की है उन्हें पार्टी के रणनीतिकार मोदी-फाइड मुस्लिम मान रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 10:37 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 05:19 PM (IST)
'मोदी-फाइड' मुस्लिमों के सहारे यूपी की सौ विधानसभा सीटों पर भाजपा की नजर, जानें- क्या है यह रणनीति
भाजपा अल्पसंख्यक वर्ग के प्रभाव वाली सौ सीटों के समीकरण साधने की तैयारी कर रही है।

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। फतवे और फरमानों की बंदिशों से निकलकर मुस्लिम समाज की सोच अब करवट ले रही है। अर्से पुरानी कुप्रथा को 'तीन तलाक' देकर आधी आबादी ने बुर्के की ओट से भाजपा को निहारना पहले ही शुरू कर दिया। अब सरकार से मिले आवास, रसोई गैस, बिजली कनेक्शन, अनुदान आदि को 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' की नीति से जोड़कर जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की चर्चा शुरू की है, उन्हें पार्टी के रणनीतिकार 'मोदी-फाइड' मुस्लिम मान रहे हैं। इन्हीं के सहारे अल्पसंख्यक वर्ग के प्रभाव वाली सौ सीटों के समीकरण साधने की तैयारी है।

यूपी मिशन 2022 की तैयारी में जुटी भाजपा जीत दोहराने के लिए समीकरणों पर पैनी नजर जमाए है। रणनीति एक-एक विधानसभा क्षेत्र के लिए है, लेकिन इस बार पार्टी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी कमल खिलाने की आस लगाई है। दरअसल, यह उम्मीद विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की उस सूची ने जगाई है, जिसमें बिना भेदभाव के इस इस वर्ग को प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास, मुख्यमंत्री आवास योजना के आवास, उज्जवला योजना से गैस, सौभाग्य योजना से बिजली कनेक्शन, छात्रों को छात्रवृत्ति और 51-51 हजार रुपये शादी अनुदान मिला है। मदरसों का आधुनिकीकरण हुआ है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह दावा करते हैं कि मोदी-योगी सरकार ने हर योजना बिना भेदभाव के लागू की है। उसी का परिणाम है कि लगभग हर योजना में 30-35 फीसद लाभार्थी अल्पसंख्यक वर्ग के हैं। इसी आधार पर अब भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति तय कर उसकी जिम्मेदारी अपने अल्पसंख्यक मोर्चा को सौंपी है।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने बताया कि लगभग सौ विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिमों का अधिक प्रभाव है। मुस्लिम बहुल करीब 40 हजार बूथ हैं। इनके लिए रणनीति बनाते हुए तय किया है कि यहां अल्पसंख्यक बुद्धिजीवी सम्मेलन और युवा सम्मेलन कर केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। उनसे सुझाव भी लिए जाएंगे। छोटे-छोटे समूहों में लाभार्थियों से संवाद होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी 1918 मंडलों तक अल्पसंख्यक मोर्चा की 21-21 सदस्यीय टीम बना दी गई है। 80 फीसद बूथों पर मोर्चा का संगठन तैनात है। जल्द ही हर बूथ पर मोर्चाबंदी हो जाएगी।

इसलिए मजबूत है भरोसा : विकास की आधुनिक सोच के साथ जुड़कर मुस्लिम कैसे 'मोदी-फाइड' हो सकते हैं, इसके पीछे बासित अली के पास एक अनुभव है। उन्होंने बताया कि गुजरात में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें पार्टी ने कच्छ स्थित मांडवी विधानसभा क्षेत्र में लगाया। वहां लगभग दो लाख मतदाताओं में से करीब एक लाख 40 हजार मुस्लिम थे। अन्य दलों ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे, जबकि भाजपा ने हिंदू। आखिरकार जीत भाजपा की हुई। परिणाम की समीक्षा पर पाया कि यहां मुस्लिम विकास से प्रभावित होकर 'मोदी-फाइड' हुआ है और तीस फीसद वोट भाजपा को गया। यही भरोसा यूपी चुनाव को लेकर भी है।

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