प्रकृति का साथ सबसे बड़ा इलाज है नेचुरोपैथी, इन रोगों में है कारगर

फस्र्ट नेचुरोपैथी डे पर विशेष : प्राकृतिक चिकित्सा को लेकर बढ़ रही जागरूकता।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 07:16 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 08:47 AM (IST)
प्रकृति का साथ सबसे बड़ा इलाज है नेचुरोपैथी, इन रोगों में है कारगर
प्रकृति का साथ सबसे बड़ा इलाज है नेचुरोपैथी, इन रोगों में है कारगर

लखनऊ (कुसुम भारती) । मानव शरीर खुद रोगों से लडऩे में सक्षम होता है बस विधि का ज्ञान होना चाहिए। संसाधनों से समृद्ध प्रकृति से निकटता के जरिए आप सेहतमंद बने रह सकते हैं। तनाव होने पर डॉक्टर भी प्राकृतिक स्थल पर घूमने या बागवानी की सलाह देते हैं। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से इस बार 18 नवंबर को प्रथम प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाने की घोषणा की गई है जो पिछले 15 वर्षों से अब तक दो अक्टूबर को मनाया जाता रहा है। केंद्र सरकार द्वारा राजधानी में चल रहे कुछ अनुदानित प्राकृतिक चिकित्सा केंद्रों व इससे जुड़ी अन्य जानकारियों पर एक रिपोर्ट।

नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा उपचार के लिए पंच तत्वों आकाश, जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर चिकित्सा सम्पन्न की जाती है। 

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पंच महाभूतत्वों (मिट्टी, पानी, धूप, हवा व आकाश) पर आधारित है। डॉक्टर से सलाह लेकर घर पर ही इलाज संभव है। इसके अंतर्गत जोड़ों का दर्द, ऑर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस, सियाटिका, पाइल्स, कब्ज, गैस, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, फैटी लीवर, कोलाइटिस, माइग्रेन, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, श्वांस रोग, दमा, ब्रॉनकाइटिस, सीओपीडी (क्रॉनिक, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) व त्वचा संबंधी रोगों का सफलतम उपचार होता है।

ऐसे होता है उपचार

मड बाथ, मिट्टी की पट्टी, वेट शीट पैक (गीली चादर लपेट), हॉट आर्म एंड फुट बाथ (गर्म पाद स्नान), सन बाथ (सूर्य स्नान), कटि स्नान, स्टीम बाथ, एनीमा, स्पाइन स्प्रे बाथ, मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग के अलावा उपवास, दूध कल्प, फलाहार, रसाहार, जलाहार द्वारा भी इलाज किया जाता है।

यहां उपलब्ध हैं सुविधा

बलरामपुर हॉस्पिटल में आयुष विभाग में वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ डॉ. नंदलाल यादव जिज्ञासु कहते हैं, यहां मरीजों को परामर्श के साथ घर पर इलाज करने की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा अनुदानित कई सेंटर हैं, जहां प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से इलाज होता है। इनमें सेक्टर आठ, विकासनगर स्थित वैदिक योग प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान, निरालानगर स्थित विवेकानंद पॉलीक्लीनिक एवं प्राकृतिक चिकित्सालय, कृष्णानगर स्थित कंचन काया प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, गोमतीनगर स्थित संभव नेचर केयर हॉस्पिटल शामिल हैं।

घर पर ऐसे करें इलाज प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. शिखा गुप्ता कहती हैं, जुकाम, खांसी, उल्टी, दस्त जैसे रोगों में तीन दिन तक तरल पदार्थ व एनीमा द्वारा इलाज करते हैं। दस्त होने पर मिट्टी रात भर पानी में भिगोकर सवेरे मरीज की नाभि से चार अंगुल की दूरी पर चारों ओर एक-डेढ़ इंच मोटा लेप लगाकर आधे घंटे बाद उसे हटा दें।  घुटने के दर्द में मिट्टी को गर्म पानी में मिलाकर लेप लगाएं। जल चिकित्सा में दर्द व सूजन वाली जगहों पर तौलिये को गर्म पानी में भिगोकर रोग ग्रस्त जगह पर रखने से आराम मिलता है।  डिप्रेशन या रीढ़ संबंधी रोगों में ठंडा या गर्म रीढ़ स्नान दिया जाता है।  मधुमेह के रोगी को हिप बाथ दी जाती है।  बुखार में ऊनी-सूती चादर की लपेट से फायदा मिलता है।  विटामिन डी के लिए सूर्य किरण चिकित्सा अपनाएं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार रंगीन कांच की शीशी में 21 दिन तक सूर्य तप्त जल व तेल का सेवन भी कई रोगों में फायदेमंद है। इसके अलावा इसमें आहार चिकित्सा भी होती है।

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